प्रेगनेंसी में डायबिटीज से बढ़ सकता है बच्चों में ऑटिज्म और मानसिक विकास संबंधी खतरा

हर मां के लिए गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है, जब वह केवल अपनी नहीं, बल्कि अपने होने वाले बच्चे की सेहत और भविष्य की भी जिम्मेदारी उठाती है।

प्रेगनेंसी में डायबिटीज से बढ़ सकता है बच्चों में ऑटिज्म और मानसिक विकास संबंधी खतरा

हर मां के लिए गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है, जब वह केवल अपनी नहीं, बल्कि अपने होने वाले बच्चे की सेहत और भविष्य की भी जिम्मेदारी उठाती है। इस संवेदनशील समय में मां के खानपान से लेकर उसकी दिनचर्या तक, हर पहलू का बच्चे की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। इसी संदर्भ में हाल ही में एक स्टडी सामने आई है जिसने प्रेगनेंट महिलाओं को लेकर एक नई और गंभीर चेतावनी दी है।

इस नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज सिर्फ मां की सेहत के लिए ही नहीं, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के मानसिक विकास के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज होने से बच्चे के ऑटिज्म और एडीएचडी (ध्यान में कमी और अत्यधिक सक्रियता विकार) जैसी न्यूरोडेवलपमेंटल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

इस रिसर्च में 56 मिलियन से ज्यादा मां-बच्चे की जोड़ी से जुड़े 202 पुराने शोधों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज थी, उनके बच्चों में न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर होने की आशंका 28% ज्यादा देखी गई। खास तौर पर देखा गया कि ऑटिज्म का खतरा ऐसे बच्चों में 25% ज्यादा था, वहीं फोकस की कमी यानी एडीएचडी जैसी समस्याओं के मामले में यह खतरा 30% तक बढ़ गया। इतना ही नहीं, बौद्धिक अक्षमता का जोखिम 32%, संवाद करने में कठिनाई का जोखिम 20%, शरीर की गतिविधियों में समस्या का जोखिम 17% और सीखने में परेशानी जैसे डिसऑर्डर का खतरा 16% ज्यादा पाया गया।

इस शोध को 'द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि अगर किसी महिला को गर्भावस्था से पहले ही डायबिटीज है, तो उसके बच्चे में न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर की संभावना 39% तक बढ़ सकती है। हालांकि, अगर यह डायबिटीज केवल गर्भावस्था के दौरान शुरू होती है और समय के साथ नियंत्रित हो जाती है, तो खतरा थोड़े हल्के रूप में मौजूद रहता है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होता।

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में करीब 9% गर्भवती महिलाएं डायबिटीज से प्रभावित होती हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, कुछ पुराने शोधों में यह बात भी सामने आई थी कि परिवारिक या जेनेटिक कारण भी इन जोखिमों को बढ़ा सकते हैं। कई स्टडीज़ में जब ऐसे बच्चों की तुलना उनके भाई-बहनों से की गई, जिनकी मां को डायबिटीज नहीं थी, तब बहुत अधिक फर्क नहीं पाया गया। इससे यह संकेत मिलता है कि जेनेटिक या पारिवारिक फैक्टर भी भूमिका निभा सकते हैं।

इस शोध से यह साफ है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने ब्लड शुगर लेवल पर खास ध्यान देना चाहिए और समय-समय पर चिकित्सकीय जांच कराते रहना चाहिए। यह न केवल मां की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए भी अनिवार्य है।

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.