चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर भारत ने रचा इतिहास: जनभागीदारी, नवाचार और निर्णायक नेतृत्व की विजयगाथा
भारत 4.186 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनकर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना; यह निर्णायक नेतृत्व, सुधारों और जनभागीदारी की ऐतिहासिक जीत है।

भारत ने दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल कर इतिहास रच दिया है। यह केवल एक आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि यह भारत के करोड़ों नागरिकों के संघर्ष, संकल्प और सपनों की जीत है। यह सफलता निर्णायक नेतृत्व, प्रभावशाली नीतियों, डिजिटल नवाचार और समावेशी विकास के मजबूत आधार पर खड़ी है।
आर्थिक विकास का समावेशी मॉडल
भारत का विकास केवल महानगरों या अमीर वर्ग तक सीमित नहीं रहा। 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के सिद्धांत को अपनाकर सरकार ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी आर्थिक विकास की मुख्यधारा से जोड़ा। 4.186 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनकर भारत ने जर्मनी जैसे विकसित देश को पीछे छोड़ा और एक नई वैश्विक पहचान बनाई।
नेतृत्व और जनसंवाद ने बदला परिदृश्य
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार आने के बाद भारत ने आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से खुद को सशक्त करना शुरू किया। दस वर्षों में साहसी निर्णयों, जनभागीदारी और निरंतर सुधारों ने देश की दिशा बदल दी।
नीतिगत सुधारों की नींव पर विकास
GST ने देश को एकीकृत बाजार में बदला, जबकि IBC ने बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन लाया। मेक इन इंडिया अभियान ने घरेलू विनिर्माण को नया जीवन दिया और विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में भारत की रैंकिंग 142 से गिरकर 63 पर पहुंच गई, जिससे स्पष्ट होता है कि देश ने कारोबारी माहौल को कितना बेहतर बनाया।
डिजिटल क्रांति से विकास को रफ्तार
डिजिटल इंडिया के तहत गांव-गांव इंटरनेट से जुड़ा, जिससे डिजिटल लेनदेन, स्टार्टअप और तकनीकी नवाचार को अपार बल मिला। UPI ने भुगतान प्रणाली को आसान बना दिया, और DBT तथा जनधन योजना ने करोड़ों लोगों को वित्तीय मुख्यधारा से जोड़ा।
बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्र में बड़ा बदलाव
भारतमाला, सागरमाला और स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाओं ने सड़क, बंदरगाह, हवाई अड्डों और शहरी विकास को गति दी। PLI योजना के तहत मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन मिला।
निर्यात में वृद्धि और वैश्विक पहचान
2023-24 में भारत का कुल निर्यात 824.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया। आईटी सेवाएं, फार्मास्यूटिकल्स, आभूषण और कृषि उत्पादों के निर्यात ने भारत को विश्व में एक मजबूत और भरोसेमंद भागीदार बनाया।
सशक्तिकरण की योजनाएं बनीं सफलता की नींव
53 करोड़ से अधिक जनधन खाते, 11 करोड़ से अधिक उज्ज्वला कनेक्शन और 50 करोड़ से अधिक लोगों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिला। ये योजनाएं दर्शाती हैं कि भारत का विकास न्यायपूर्ण और सशक्तिकरण आधारित है।
भविष्य की ओर एक आत्मविश्वासी भारत
भारत की यह उपलब्धि केवल वर्तमान की उपलब्धि नहीं, बल्कि भविष्य की महाशक्ति बनने की ओर एक सुनिश्चित कदम है। विश्लेषकों के अनुसार, भारत 2027 तक जापान को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
भारत की इस ऐतिहासिक सफलता में हर नागरिक का योगदान है — चाहे वो किसान हो, टेक्नोलॉजिस्ट, उद्यमी या मजदूर। यह नया भारत है, जो न केवल अपने नागरिकों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए अवसरों की भूमि बन चुका है।