Delhi Liquor Policy Scam: 'मामले में ज्यादातर सह-आरोपी जमानत पर तो...', दिल्ली शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से एक और आरोपी को जमानत
Delhi Excise Policy Case Latest News: दिल्ली शराब घोटाला मामले में आरोपी अभिषेक बोइनपल्ली को सोमवार (14 अक्टूबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा

Delhi Excise Policy Case Latest News: दिल्ली शराब घोटाला मामले में आरोपी अभिषेक बोइनपल्ली को सोमवार (14 अक्टूबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले में ज्यादातर सह-आरोपी जमानत पर हैं. इससे पहले भी बोइनपल्ली अंतरिम जमानत पर बाहर थे. अब कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी है. हैदराबाद के रहने वाले व्यापारी अभिषेक को अक्टूबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था.
बता दें कि इस मामले में अभिषेक बोइनपल्ली को अदालत से अंतरिम जमानत मिली हुई थी. उन्होंने नियमित जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी. इस पर आखिरी सुनावई 13 अगस्त 2024 को हुई थी. तब ईडी की तरफ से कुछ और समय मांगने पर अदालत ने बोइनपल्ली को दी गई अंतरिम जमानत की तारीख बढ़ा दी थी. अब 14 अक्टूबर 2024 को न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की बेंच ने मामले की सुनवाई की और दिल्ली शराब नीति मामले में अभिषेक बोइनपल्ली को अन्य आरोपियों के समान नियमित जमानत दे दी.
कौन है अभिषेक बोइनपल्ली?
सीबीआई की टीम ने अक्टूबर 2022 को बिजनेसमैन अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया था. बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. बोइनपल्ली रॉबिन डिस्टिलरीज के पूर्व निदेशक हैं और दिल्ली शराब घोटाला मामले में उन्हें ईडी ने बिचौलिया बताया है. .
क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
दरअसल, नवंबर 2021 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने नई शराब नीति लागू की. इससे पहले दिल्ली में शराब की 864 दुकानें थीं, जिनमें से 475 सरकारी थीं. लेकिन नई नीति के तहत सरकार शराब के कारोबार से पूरी तरह बाहर आ गई और शराब का कारोबार निजी हाथों में सौंप दिया. नई नीति आने से पहले 750 एमएल की एक बोतल पर शराब कारोबारियों को 33.35 रुपये रिटेल मार्जिन मिलता था, लेकिन नई नीति के बाद 363.27 रुपये हो गया. इसी तरह, पहले एक बोतल 530 रुपये की मिलती थी, जो बाद में बढ़कर 560 रुपये हो गई. इससे एक तरफ कारोबारियों की तो मोटी कमाई हुई, दूसरी तरफ शराब की बिक्री पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से होने वाली सरकार की कमाई तेजी से कम हो गई.