बकरीद: कुर्बानी और आस्था का त्योहार, देशभर में मनाई जा रही ईद उल अजहा
ईद उल अजहा पर देशभर में उत्सव, मस्जिदों में नमाज़ और कुर्बानी की परंपरा के साथ बकरीद का जश्न।

देशभर में आज पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ ईद उल अजहा यानी बकरीद मनाई जा रही है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह त्योहार बहुत पवित्र और विशेष महत्व रखता है। इसे कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है क्योंकि यह त्यौहार हज़रत इब्राहिम की अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता और बलिदान की भावना की याद में मनाया जाता है।
हज़रत इब्राहिम को जब अल्लाह की ओर से अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का आदेश मिला, तो उन्होंने पूरी श्रद्धा से इस आदेश को मान लिया। हालांकि, ऐन समय पर अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक मेंढके की कुर्बानी को स्वीकार कर लिया। इसी घटना की याद में मुस्लिम समुदाय बकरीद पर जानवर की कुर्बानी देता है और इसे अल्लाह की राह में समर्पित करता है।
आज के दिन देश के कई हिस्सों में ईदगाहों और मस्जिदों में विशेष नमाज़ अदा की जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रमुख नमाज़ का आयोजन जामा मस्जिद, फतेहपुरी मस्जिद और शाही ईदगाह में किया जाएगा। नमाज़ के बाद कुर्बानी की प्रक्रिया आरंभ होती है, जिसमें बकरा, ऊंट या अन्य मान्य जानवरों की कुर्बानी दी जाती है।
इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर त्योहार की खुशियां साझा करते हैं। कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है—एक हिस्सा गरीबों को, एक रिश्तेदारों को और एक अपने लिए रखा जाता है।
बकरीद न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह त्याग, करुणा और समानता का प्रतीक भी है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि आस्था और बलिदान से बड़ा कोई धर्म नहीं है।