डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट जारी, क्या होगी इसकी वजह?

रुपये में ऐतिहासिक गिरावट देखी जा रही है और 17 दिसंबर के सेशन में एक डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू घटकर पहली बार 84.93 रुपये के लेवल पर आ गई है।

डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट जारी, क्या होगी इसकी वजह?

रुपये में ऐतिहासिक गिरावट देखी जा रही है और 17 दिसंबर के सेशन में एक डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू घटकर पहली बार 84.93 रुपये के लेवल पर आ गई है। पिछले सत्र में रुपये की वैल्यू 84.87 रुपये थी। इस सत्र में रुपया छह पैसे कमजोर हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी कमजोरी के बाद अब यह आशंका जताई जा रही है कि भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले 85 रुपये के लेवल को भी तोड़ सकता है।

रुपये की गिरावट का मुख्य कारण 16 दिसंबर 2024 को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ट्रेड डेटा से है, जिसमें नवंबर महीने में भारत का व्यापार घाटा पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 37.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया। व्यापार घाटे के इस भारी बढ़ोतरी का कारण इम्पोर्ट में आई तेज उछाल है, साथ ही एक्सपोर्ट्स में गिरावट भी देखी गई। इस महीने में सोने के आयात में भी रिकॉर्ड उछाल देखने को मिला है। शादियों और त्योहारी मांग के चलते नवंबर में भारत ने 14.8 अरब डॉलर का गोल्ड इंपोर्ट किया। इसके अलावा, खाने के तेल, फर्टिलाइजर और चांदी का आयात भी बढ़ा है, जिससे व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है और रुपये पर दबाव बढ़ा है।

अब सवाल यह है कि रुपये में और कितना गिरावट हो सकती है। 20 जनवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेंगे। उनके चुनाव में जीत के बाद से ही डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है। ट्रंप की जीत के बाद डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है, और सत्ता में आने के बाद डॉलर के और मजबूत होने की संभावना जताई जा रही है। ट्रंप सरकार आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगा सकती है, जिससे इन वस्तुओं को खरीदना महंगा हो जाएगा और महंगाई बढ़ने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है। इस स्थिति में ब्याज दरें घटने की संभावना कम हो सकती है, जिससे डॉलर और भी मजबूत हो सकता है, और रुपये में और कमजोरी देखी जा सकती है।

रुपये की कमजोरी को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार डॉलर की बिकवाली करता रहा है, जिससे रुपये को थामने की कोशिश की जा रही है। 27 सितंबर 2024 के बाद से आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 50 अरब डॉलर की गिरावट आई है। इसका एक बड़ा कारण अक्टूबर-नवंबर महीने में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली और दूसरा कारण रुपये को थामने के लिए आरबीआई द्वारा बेचे गए डॉलर हैं।