NBFC को नहीं मिल रहा फंड, पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड मार्केट का सहारा, RBI की रिपोर्ट में और क्या पता चला

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की हालत स्थिर बनी हुई है. पर्याप्त पूंजी, मजबूत ब्याज मार्जिन और बेहतर परिसंपत्ति

NBFC को नहीं मिल रहा फंड, पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड मार्केट का सहारा, RBI की रिपोर्ट में और क्या पता चला

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की हालत स्थिर बनी हुई है. पर्याप्त पूंजी, मजबूत ब्याज मार्जिन और बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता के साथ इनकी हालत में सुधार आया है. फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में इस पर बात करते हुए कहा है, इस साल आरबीआई ने चार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लोन देने से रोकने की कार्रवाई की थी. ऐसा उपभोक्ताओं को लोन पर अधिक ब्याज लेने के सिलसिले में किया गया था. आरबीआई की इस कार्रवाई के बाद इन वित्तीय कंपनियों की ऋण वृद्धि में 6.5 फीसदी तक की कमी आई है.

पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड मार्केट पर निर्भर हो रहे एनबीएफसी 

जिन गैर-वित्तीय संस्थानों के ऋण वृद्धि में कमी आई है, उनमें मुख्य रूप से बड़े स्तर की एनबीएफसी-निवेश ऋण कंपनियां शामिल हैं, जिनके लोन बुक में खुदरा ऋण देने की हिस्सेदारी सबसे अधिक (63.8 प्रतिशत) है. कुल मिलाकर इस क्षेत्र की ऋण वृद्धि 22.1 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत हो गई है.

रिपोर्ट में बताया गया कि बैंकों से डायरेक्ट फंडिंग की कमी आने पर एनबीएफसी पूंजी जुटाने के लिए बॉन्ड मार्केट पर अधिक निर्भर हो रही हैं. सितंबर 2024 तक प्रत्यक्ष उधारी, वाणिज्यिक पत्र और डिबेंचर सलहित ऊंचे रेटिंग वाले एनबीएफसी के लिए बैंक फंडिंग 35.8 प्रतिशत से घटकर 34.6 प्रतिशत हो गई है. इसी तरह, मध्यम स्तरीय एनबीएफसी के लिए यह 26.7 प्रतिशत से घटकर 26.3 प्रतिशत हो गई है.

चुनौतियों के बावजूद स्थिर एनबीएफसी की हालत

एनबीएफसी की बैंकों से उधारी भी 26 प्रतिशत से घटकर 17 प्रतिशत हो गई है, जबकि गैर बैंकिंग स्त्रोतों पर इनकी निर्भरता बढ़ी है. कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार एनबीएफसी के लिए फंडिंग का बड़ा जरिया है, जो सबसे अधिक बॉन्ड इश्यू करते हैं. इसके अलावा, निजी प्लेसमेंट भी फंडिंग का एक पसंदीदा तरीका है.

बैंकों से कम प्रत्यक्ष फंडिंग के प्रभाव को कम करने के लिए एनबीएफसी ने सूचीबद्ध गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) के अधिक जारी करने की ओर रुख किया है.  इसके अलावा, एनबीएफसी ने फंडिंग के लिए विदेशी मुद्रा उधारी का भी रास्ता अपनाया है. हालांकि, इन तमाम चुनौतियों के बावजूद एनबीएफसी सेक्टर स्थिर बना हुआ है.