अग्निशमन विभाग के आंकड़े के मुताबिक जिले में सिर्फ 57 अस्पतालों के पास ही फायर एनओसी है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि बिना एनओसी 446 अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन कैसे हो गए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर बहाने गिना रहे हैं। उनका कहना है कि 15 मीटर से कम ऊंचाई वाले अस्पतालों पर फायर एनओसी अनिवार्य नहीं है।
जबकि अग्निशमन विभाग के मुताबिक बहुमंजिला इमारत, स्कूल-कॉलेज, सरकारी विभाग या फिर अस्पताल हों, सभी के लिए फायर एनओसी लेना जरूरी है। नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत सुरक्षा की दृष्टि से यह बेहद जरूरी है लेकिन इसी की अनदेखी की जाती है।
1000 वर्ग मीटर एरिया और 15 मीटर ऊंचाई तक बेड वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), पानी टैंक क्षमता 5000 लीटर और 450 एलपीएम क्षमता का पंप। वहीं 1000 वर्ग मीटर एरिया और 15 मीटर तक ऊंचाई तक बिना बेड वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, हौजरील, मैन्युअल इलेक्ट्रिक फायर अलार्म सिस्टम, स्प्रिंकलर सिस्टम (बेसमेंट हो तो), दो टैंक क्षमता पांच-पांच हजार लीटर और 450 एलपीएम क्षमता के दो पंप।
वेटराइजर, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म, 75 हजार लीटर का अंडरग्राउंड टैंक, 10 हजार लीटर का टेरिस टैंक, 1620 एलपीएम का एक डीजल, एक इलेक्ट्रिक और 180 एलपीएम का एक जॉकी पंप और अग्निशामक यंत्र। 15 मीटर से 24 मीटर तक ऊंचाई वाले अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, हौजरील, वेटराइजर, यार्ड हाईड्रेंट, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम, मैनुअल और ऑटोमेटिक स्मॉग डिटेक्शन अलार्म सिस्टम, 1.5 लाख लीटर क्षमता का अंडर ग्राउंड वाटर टैंक, 20 हजार लीटर क्षमता का टैरिस टैंक, 2280 एलपीएम क्षमता के एक इलेक्ट्रिक और एक डीजल पंप के अलावा 180 एलपीएम के दो जॉकी पंप। यदि ऊंचाई 24 से 45 मीटर हो तो उसमें टैंक की और पंप की क्षमता बढ़ जाती है।
दिल्ली की घटना के बाद अग्निशमन विभाग ने साईं अस्पताल व अपेक्स अस्पताल में आग से बचने के इंतजामों का जायजा लिया। अस्पतालों में लगा फायर सेफ्टी सिस्टम चला कर देखा गया। जोकि सही पाया गया। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रोज अस्पतालों में जाकर चेकिंग की जाएगी। जिस अस्पताल के पास नियमानुसार आग से बचाव की व्यवस्थाएं नहीं होंगी। उसके संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी केके ओझा मौजूद रहे।