गोरक्षनगरी: मोहल्ला एक-नाम अनेक...कोई कहे माया बाजार तो कोई मियां बाजार

गोरखपुर शहर में कई ऐसे मोहल्ले और बाजार हैं, जिनके एक से ज्यादा नाम हैं। नगर निगम में शहर के 27 वार्ड के नाम बदले जा चुके हैं, मगर आज भी लोग अपनी-अपनी पसंद से नाम लिख और पुकार रहे हैं। शहर के मियां बाजार का नाम बदलकर अब माया बाजार किया जा चुका है। मगर वहां की कुछ दुकानों के होर्डिंग पर अभी भी मियां बाजार ही लिखा हुआ है।

गोरक्षनगरी: मोहल्ला एक-नाम अनेक...कोई कहे माया बाजार तो कोई मियां बाजार

गोरखपुर शहर में कई ऐसे मोहल्ले और बाजार हैं, जिनके एक से ज्यादा नाम हैं।

नगर निगम में शहर के 27 वार्ड के नाम बदले जा चुके हैं, मगर आज भी लोग अपनी-अपनी पसंद से नाम लिख और पुकार रहे हैं। शहर के मियां बाजार का नाम बदलकर अब माया बाजार किया जा चुका है। मगर वहां की कुछ दुकानों के होर्डिंग पर अभी भी मियां बाजार ही लिखा हुआ है।

गोरखपुर शहर में कई ऐसे मोहल्ले और बाजार हैं, जिनके एक से ज्यादा नाम हैं। जैसे माया बाजार को मियां बाजार, अलीनगर को आर्यनगर, कुनराघाट को कूड़ाघाट और हनुमंत नगर को हुमायूंपुर के नाम से बुलाते हैं। यही नहीं, एक ही भवन में दो दुकानें और दोनों पर स्थान का नाम अलग-अलग। जिसे जो अच्छा लगा, उसने उसी नाम से पुकारना शुरू कर दिया। इन इलाकों में रहने वाले लोगों के जो रिश्तेदार या परिचित बाहर से आते हैं, वे भी भ्रमित हो जाते हैं कि सही जगह पहुंचे हैं या नहीं।

नगर निगम में शहर के 27 वार्ड के नाम बदले जा चुके हैं, मगर आज भी लोग अपनी-अपनी पसंद से नाम लिख और पुकार रहे हैं। शहर के मियां बाजार का नाम बदलकर अब माया बाजार किया जा चुका है। मगर वहां की कुछ दुकानों के होर्डिंग पर अभी भी मियां बाजार ही लिखा हुआ है। यहां के लोगों का कहना है कि यह बरसों से मियां बाजार के नाम से ही जाना जाता है।

स्थानीय दुकानदार विनोद कुमार गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले यह मीना बाजार के नाम से जाना जाता था। बाद में मियां बाजार हुआ और अब इसकी पहचान माया बाजार से है। हालांकि, अब भी कुछ लोग मियां बाजार ही लिखते हैं। अफजल अहमद ने बताया कि बचपन से ही वह इस बाजार को मियां बाजार के नाम से जानते हैं। इसलिए, वही लिखते और बताते हैं।

 कहीं हिंदी बाजार तो कहीं पर उर्दू

घंटाघर इलाके की 70 फीसदी दुकानों पर हिंदी बाजार तो 30 फीसदी दुकानों पर उर्दू बाजार लिखा हुआ है। अलग-अलग समुदाय के लोग अपनी दुकानों पर बाजार का नाम अलग-अलग लिखे हैं। बाजार में सालों से दुकान चला रहे तनवीर अहमद ने बताया कि इस बाजार में अलग-अलग समुदाय के लोग हैं। अपने जन्म के बाद से ही वह इसे उर्दू बाजार के नाम से जानते हैं। पिछले कुछ दशकों से कुछ लोग इसे हिंदी बाजार लिख रहे हैं। युवा व्यापारी राजेश चौधरी कहते हैं कि वह इसे हिंदी बाजार के नाम से ही जानते हैं। ज्यादातर दुकानों पर हिंदी बाजार ही लिखा हुआ है।

आर्यनगर में अभी भी अलीनगर
अलीनगर का नाम बदलकर आर्यनगर कर दिया गया है, लेकिन अभी भी कुछ दुकानों पर अलीनगर ही लिखा नजर आता है। स्थानीय निवासी अहमद हुसैन कहते हैं कि पुरानी सब्जी मंडी में अलीमर्ररा बाबा की मजार है। उसी से इसे अलीनगर के नाम से जाना जाता है। अब कुछ लोग इसे आर्यनगर बोल रहे हैं। राहुल ने बताया कि अब यह आर्यनगर हो चुका है और लगभग 80 फीसदी दुकानों पर यह लिखा भी जा चुका है। हम तो शुरू से ही आर्यनगर लिखते हैं।

हनुमंतनगर बन गया हुुमांयूपुर

शहर के हुमांयूपुर का नाम बदलकर हनुमंतनगर कर दिया गया है। लेकिन आज भी वहां के ज्यादातर लोग अपने मकान और दुकान पर हुमायूंपुर ही लिखे हैं। इरफान अहमद ने बताया कि यह मोहल्ला बहुत पहले से हुमांयूपुर के नाम से ही जाना जाता है। हम जबसे यहां पर रह रहे हैं, तबसे इसी नाम को जानते हैं।

हुमांयूपुर का नाम अब हनुमंतनगर है। लोगों को अभी भी हुमांयूपुर की ही आदत है, लेकिन अब जो भी नए काम हो रहे हैं, उसमें हनुमंतनगर ही लिखा जा रहा है। नए प्रमाणपत्रों में भी हनुमंतनगर ही है। धीरे-धीरे यह लोगों के दिमाग में बैठ जाएगा।-राधेश्याम रावत, पूर्व पार्षद।

मियां बाजार अब माया बाजार और अलीनगर अब आर्यनगर हो चुका है। बहुत सारे लोगों को अभी भी पुराने नाम की ही आदत है लेकिन अभिलेखों में नाम बदल गया है। जनता को धीरे-धीरे इसकी आदत हो रही है।-जियाउल इस्लाम, पार्षद।

मेरे वार्ड का नाम 25 वर्ष पहले चक्सा हुसैन था। यहां जीडीए ने ग्रीन लैंड बताकर मकानों को ध्वस्त कराने आदेश जारी कर दिया था। अतिक्रमण बताकर ध्वस्त कराने टीम भी आ गई। लेकिन, उस समय महंत अवेद्यनाथ जी आ गए। वे सांसद भी थे। उन्हाेंने हस्तक्षेप करके पूरे इलाके को आवासीय योजना में शामिल कराया। उन्होंने ही रामजानकीनगर नाम दिया। अब धीरे-धीरे बहुत सारे लोग इसी नाम से बुलाने लगे हैं। मोहल्लों का नाम एक ही हो तो भ्रम नहीं होता है।-अशोक मिश्रा, पार्षद।

नगर निगम के चुनाव के पहले ही बहुत सारे वार्ड का नया नामकरण का नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है। एक नाम होने से किसी को भ्रम नहीं होगा। बहुत सारे लोग अब नए नाम से ही पुकारते हैं। कुछ समय लगेगा, धीरे-धीरे लोगों की आदत में शुमार हो जाएगा।-डॉ मंगलेश श्रीवास्तव, मेयर।