Haryana: प्रदेश में पुलिस के जरिए मिलने लगा कैशलेस ट्रीटमेंट, दुर्घटना के 24 घंटे के भीतर देनी होगी सूचना
दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा प्रदेशभर में शुरू हो गई है।

दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा प्रदेशभर में शुरू हो गई है। अब सड़क हादसे में शिकार हुए लोगों के इलाज में कैश की दिक्कत नहीं आएगी। अंबाला में इसकी शुरुआत करते हुए अभी तक तीन घायलों को इसका उपचार मिल चुका है। सड़क हादसे में इन घायलों को अंबाला-दिल्ली हाईवे स्थित आदेश अस्पताल में यह उपचार मिला है। यह तीनों घायल अंबाला कैंट पड़ाव व सिटी के बलदेव नगर थाना पुलिस के अंतर्गत हैं।
पायलट परियोजना के तहत कोई भी सड़क हादसे का शिकार होता है तो उसे डेढ़ लाख रुपये तक का कैशलेस उपचार मिलेगा। हादसे से सात दिनों तक इलाज की व्यवस्था की जा रही है। इसमें अंबाला पुलिस के अलावा स्वास्थ्य विभाग व रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) तीनों विभागों की अहम भूमिका रहेगी। ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके। इसके लिए तीनों विभागों की ओर से प्रचार प्रसार भी तेज किया जा रहा है।
अंबाला में 70 जांच अधिकारियों की बनी आईडी
सड़क हादसे में घायल को किसी भी नजदीकी अस्पताल में ले जाया जाएगा। उसके बाद अस्पताल संबंधित थाने के जांच अधिकारी से संपर्क करेगा ताकि वह अपनी आईडी से अस्पताल में कैशलैस उपचार करवाएगा। इसके लिए अंबाला पुलिस ने जिलाभर के अलग-अलग थानों में करीब 70 जांच अधिकारी यानी आईओ की यह आईडी बना दी गई है। इसके अलावा आईडी बनाने का काम कर चल रहा है।
जिले में करीब 200 आईडी बन सकती है। यह उपचार आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रोजेक्ट एक्सीडेंटल आयुष्मान की शुरूआत की है। निजी अस्पतालों को पहले उपचार करने के बाद में फाइल जमा करवाने के बाद भुगतान होगा। इस संबंध में पुलिस, आरटीए व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त मीटिंग हुई है। इसमें प्राइवेट अस्पताल के संचालक व आईएमए के डॉक्टर शामिल रहे।
गोल्डन ऑवर में होती हैं सबसे ज्यादा मौतें
अक्सर देखा जाता है कि सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ित अक्सर दुर्घटना के बाद शुरुआती फेज के दौरान यानी प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं, जिसे गोल्डन ऑवर भी कहा जाता है। इस पहल से गोल्डन ऑवर में ही मरीज को सुरक्षित किया जाएगा।
जिले के सभी प्राइवेट अस्पताल होंगे शामिल, कहीं भी ले सकेंगे उपचार
इस कैशलेस उपचार की सुविधा के लिए जिले के अधिकतर प्राइवेट अस्पताल शामिल रहेंगे ताकि कहीं भी हादसा होता है तो कहीं और भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आसपास के ही अस्पताल में दाखिल करवाकर उसका प्राथमिक उपचार करवाया जा सकेगा।