High Court : युवक की हत्या में उम्रकैद की सजा पाए नौ बरी, 24 साल पहले 50 रुपये के विवाद में हुई थी हत्या

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 50 रुपये के लेनदेन में 24 साल पहले युवक की हुई हत्या में आजीवन कारावास की सजा पाए नौ लोगों को बेगुनाह करार दिया। कोर्ट ने गवाहों के बयानों को विश्वसनीय नहीं माना।

High Court : युवक की हत्या में उम्रकैद की सजा पाए नौ बरी, 24 साल पहले 50 रुपये के विवाद में हुई थी हत्या

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 50 रुपये के लेनदेन में 24 साल पहले युवक की हुई हत्या में आजीवन कारावास की सजा पाए नौ लोगों को बेगुनाह करार दिया। कोर्ट ने गवाहों के बयानों को विश्वसनीय नहीं माना। यह फैसला न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने आरोपी लल्ली सिंह व आठ अन्य की ओर से दाखिल अलग-अलग अपीलों पर एक साथ हुई सुनवाई के बाद दिया है।

मामला कानपुर के बिधनू थानाक्षेत्र का है। 10 जुलाई 2001 को सिपाई गांव के बाबू उर्फ मुंशी श्याम सुंदर ने बेटे आजाद की हत्या के आरोप में गांव के ही सात लाेगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें हरनाम सिंह, इंद्र बहादुर, घनश्याम, वीरेंद्र, लल्ली, जयकरन एवं झल्लर का नाम शामिल था। विवेचना के दौरान शिव नाथ यादव, पप्पू यादव, चालू यादव, राम चंद्र यादव और झंडे यादव, शिव कुमार का नाम प्रकाश में आया। वादी ने आरोप लगाया था कि दूध के 50 रुपये के लेनदेन को लेकर दो माह पहले सीधी बाजार में उसके पुत्र नरेंद्र और हरमन सिंह के पौत्र दिनेश उर्फ टोपीलाल के बीच मारपीट हुई थी।

नौ जुलाई 2001 की रात उसका पुत्र आजाद नलकूप पर गया था, जहां हरनाम सिंह से उसका फिर विवाद हुआ। इसके बाद हरनाम के पुत्र इंद्र बहादुर, घनश्याम अपने साथी वीरेन्द्र, लल्ली, जय करन, झल्लर के साथ आजाद पर बरछी व तमंचे से हमला कर उसकी हत्या कर दी।

कोर्ट ने गवाहों के बयान पर नहीं किया विश्वास

पुलिस ने लल्ली सिंह, जय करन सिंह, झल्लर सिंह, पप्पू यादव, कर्पूरी और शिव नाथ यादव, चालू यादव उर्फ राम चंद्र उर्फ बलबीर और झंडे यादव के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। जबकि, नामजद आरोपी इंद्र बहादुर सिंह, घनश्याम सिंह, हरनाम सिंह और वीरेंद्र का नाम विवेचना में निकाल दिया गया। बाद में हरनाम सिंह के मुकदमे को ट्रायल कोर्ट ने 2007 और पप्पू यादव उर्फ कर्पूरी के 2013 में समाप्त कर दिया था।

15 अप्रैल 2015 को सत्र न्यायालय ने लल्ली सिंह, वीरेंद्र, झंडे यादव, चालू यादव उर्फ राम चंद्र यादव, घनश्याम सिंह, जय करण सिंह, झल्लर सिंह, शिवनाथ यादव एवं इंद्र बहादुर सिंह को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ सभी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने प्रत्यक्षदर्शी के रूप में पेश गवाह व वादी मुकदमा की गवाही को अविश्वसनीय मानते हुए सभी नौ आरोपियों को बेगुनाह बताते हुए आरोपों से बरी कर दिया।