Janmashtami 2024: बांकेबिहारी मंदिर की व्यवस्थाओं में बड़ा बदलाव, सीमित भक्त ही कर सकेंगे मंगला आरती के दर्शन

बांके बिहारी मंदिरों में साल में एक बार होने वाली मंगला आरती में शामिल होने को जुटती है लाखों की भीड़। 2023 के आयोजन की तरह इस बार भी आम जनता को नहीं दिया जाएगा प्रवेश।

Janmashtami 2024:  बांकेबिहारी मंदिर की व्यवस्थाओं में बड़ा बदलाव, सीमित भक्त ही कर सकेंगे मंगला आरती के दर्शन

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वृंदावन के बिहारी जी मंदिर में साल में एक बार होने वाली मंगला आरती के दर्शन की लाखों भक्तों की चाह इस बार भी शायद पूरी नहीं हो पाएगी। भीड़ प्रबंधन के इंतजामों के तहत प्रशासन-पुलिस ने मन बना लिया है कि पिछली बार की तरह सीमित भक्तों को ही प्रवेश दिया जाएगा। पिछली बार तो भक्तों की आड़ में सिर्फ अधिकारी, उनके परिवार और मंदिर प्रबंधन, सेवा, सुरक्षा से जुड़े लोगों व वीआईपी को ही इस आरती के दर्शन हुए थे।

आगामी 26 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म होगा। पूरा ब्रज अजन्मे के जन्म के इंतजार में पलके बिछाए बैठा है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु ब्रज में जुटेंगे। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के दर्शन के लिए लाखों भक्तों का जमावड़ा लगता है। 2022 में इसी आरती दर्शन के दौरान मंदिर परिसर में भगदड़ मची थी और दो भक्तों की जान चली गई थी। कई घायल हुए थे। उस हादसे के बाद से ही प्रशासन इसको लेकर बीते साल गंभीर हुआ था।

सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार ने  बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भीड़ प्रबंधन को लेकर तैयारी की जा रही है। 2023 का प्लान सफल रहा था। शांतिपूर्ण व सकुशल तरीके से मंगला आरती संपन्न हुई थी। उसी तर्ज पर इस बार भी आयोजन कराया जाएगा।
भीड़ प्रबंधन के इंतजामों पर भारी 'हुकूमत'
वृंदावन के ठा. श्रीबांके बिहारी के दर्शन को आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को सहज और सरल दर्शन कराने के लिए किए जाने वाले इंतजामों पर अप्रत्यक्ष हुकूमत भारी पड़ रही है। न तो मंदिर प्रबंधन भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी अपने सिर ओढ़ता है और न ही जिला प्रशासन और पुलिस। सभी लोग एक दूसरे पर जिम्मेदारी टाल देते हैं। जब बात ज्यादा बढ़ती है तो मामला कोर्ट के पाले में डाल दिया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आने को है। पिछले साल भी इंतजामों को लेकर काफी चिकचिक सभी पक्षों के बीच हुई थी। प्लान तैयार किया गया था कि दर्शन पूर्व पर्ची व्यवस्था लागू की जाएगी। मगर, वह व्यवस्था अप्रत्यक्ष हुकूमत की भेंट चढ़ गई। न तो पर्ची धारकों के लिए कोई प्रवेश द्वार निर्धारित हुआ और न ही इस व्यवस्था को जारी रखने का कोई आधिकारिक फरमान अभी तक आया।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने दर्जनों दफा कई व्यवस्थाएं कीं। मगर, कभी किसी पक्ष का विरोध शुरू हुआ तो कभी किसी का। हर बार व्यवस्थाएं फेल हुईं और श्रद्धालुओं को इसका खामियाजा उठाना पड़ा। प्रशासन की ओर से कई दफा सेवायतों के साथ बैठक की। कई प्लान रखे। मगर, सभी हवा-हवाई साबित हुए।