Satypal Malik: बागपत में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की हवेली पर CBI का छापा, तीन घंटे जांच कर लौटी टीम

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गुरुवार को सीबीआई ने छापेमारी की। बागपत में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आवास पर भी सीबीआई पहुंची।

Satypal Malik: बागपत में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की हवेली पर CBI का छापा, तीन घंटे जांच कर लौटी टीम

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गुरुवार को सीबीआई ने छापेमारी की। बागपत में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आवास पर भी सीबीआई पहुंची।

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बागपत जनपद स्थित पैतृक गांव हिसावदा में गुरुवार सुबह गाजियाबाद से सीबीआई की टीम पहुंची। यहां तीन घंटे की जांच पड़ताल के बाद टीम वापस लौट गई। बताया जा रहा है कि टीम को कोई संदिग्ध दस्तावेज या रिकॉर्ड नहीं मिला है। वहीं टीम में स्थानीय पुलिस समेत पांच सदस्य शामिल रहे।

हिसावदा में सत्यपाल मलिक की केवल एक पुरानी हवेली है, जो जर्जर हालत में ही है। वहां सीबीआई की टीम ने सत्यपाल मलिक के परिवार के सतबीर मलिक उर्फ हिटलर के घर पहुंचकर बातचीत की।

बताया गया कि टीम उनसे सत्यपाल मलिक की संपत्ति से जुड़ी व अन्य जानकारी ली। सीबीआई टीम के साथ स्थानीय पुलिस भी मौजूद रही और इस दौरान किसी के भी अंदर जाने व बाहर आने पर रोक लगा दी गई। तकरीबन तीन घंटे बाद टीम के सदस्य वापस लौट गए।

टीम में शामिल रहे ये सदस्य
अमित कुमार सिंह- पीसी, सीबीआई, एसीबी, गाजियाबाद
वीरेंद्र कुमार -पीसी, सीबीआई, एसीबी, गाजियाबाद
रमा वर्मा-आईपीएस कोतवाली पुलिस, बागपत
सुरेंद्र सिंह-आईपीएस, कोतवाली पुलिस, बागपत
विशाल पंवार- पीसी, कोतवाली पुलिस, बागपत

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू-कश्मीर की कीरू जल विद्युत परियोजना में रिश्वतखोरी के मामले में कई शहरों में ठिकानों पर छापे मारे। परियोजना के लोक निर्माण कार्य के लिए 2,200 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था, जिसके खिलाफ राज्य के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आवाज उठाई थी। 

सत्यपाल मलिक ने दो परियोजनाओं को मंजूरी के एवज में 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की शिकायत की थी।

बागपत से पहली बार सत्यपाल मलिक बने MLA, फिर थामा कांग्रेस का हाथ, राज्यपाल भी रहे 
सत्यपाल मलिक का सियासी सफर वर्ष 1974 से शुरू हुआ था। उस वक्त मलिक यूपी की बागपत विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने थे। पूर्व राज्यपाल ने राजनीतिक सफर की शुरूआत लोक दल से की थी। इसके बाद 1980 में मलिक पहली बार लोक दल के टिकट उच्च सदन यानी राज्यसभा पहुंचे थे। 
 
वर्ष 1984 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद उन्हें कांग्रेस ने भी राज्यसभा भेजा था। हालांकि  1987 में कथित बोफोर्स घोटाले के बाद सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद साल 1988 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल में वो शामिल हुए और 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद चुने गए।
वर्ष 2004 में लड़ा था चुनाव
वर्ष 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिर से अलीगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद सत्यपाल मलिक कभी चुनाव नहीं जीत सके। सपा के बाद वह 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए लेकिन उन्हें वर्ष 2004 में फिर बागपत से हार का सामना करना पड़ा था। इन सबके बीच बीजेपी में उनकी राजनीतिक हैसियत बढ़ती रही। 
 
वर्ष 2012 में उन्हें बीजेपी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद मलिक को 2017 में बिहार का राज्यपाल बनाया गया। बिहार के बाद उन्हें जम्मू कश्मीर की जिम्मेदारी मिली।
 
वर्ष 2018 में उन्हें यहां का राज्यपाल बनाया गया। उन्हीं के कार्यकाल में वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरसित किए गए।  इसके बाद उन्हें 2019 में गोवा का राज्यपाल बनाया गया। फिर वर्ष 2020 में मलिक को मेघालय का राज्यपाल बनाया गया।
 
इसके बाद उन्होंने बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं 2019 में पुलवामा हमले को लेकर भी मलिक ने कई गंभीर दावे किए और केंद्र समेत गृह मंत्रालय पर आरोप लगाए। इसके बाद वह किसान आंदोलन में सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर रहे।