UP: जनता की बगावत के डर से नेहरू चाहते थे जल्द चुनाव, पर... राष्ट्रपति ने एक साल के लिए टाल दिए थे इलेक्शन

आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू देश में पहला आम चुनाव जल्द कराना चाहते थे। उन्हें चुनाव में देरी से जनता के विद्रोह की आशंका थी।

UP: जनता की बगावत के डर से नेहरू चाहते थे जल्द चुनाव, पर... राष्ट्रपति ने एक साल के लिए टाल दिए थे इलेक्शन

आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू देश में पहला आम चुनाव जल्द कराना चाहते थे। उन्हें चुनाव में देरी से जनता के विद्रोह की आशंका थी।

आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू देश में पहला आम चुनाव जल्द कराना चाहते थे। उन्हें चुनाव में देरी से जनता के विद्रोह की आशंका थी। ब्रिटेन में दीर्घकालीन संसद के कारण वहां के लोगों ने सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। 

कुछ ऐसा ही डर नेहरू के मन में भी था। इसके अलावा उन्हें कांग्रेस के समर्थन में कमी आने का भय भी सता रहा था। अमर उजाला के 25 नवंबर, 1950 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने स्वतंत्र भारत के प्रथम आम चुनाव एक साल के लिए टाल दिए थे। 

यह नेहरू की इच्छा के विरुद्ध था। प्रधानमंत्री नेहरू कुछ कारणों से जल्द चुनाव कराना चाहते थे। इसके पीछे एक कारण उनके दिमाग में ब्रिटेन के सम्राट चार्ल्स प्रथम के समय दीर्घकालीन संसद के विरुद्ध वहां के लोगों का बगावत कर देना था। 

साथ ही उन्हें यह भी डर सता रहा था कि अगर चुनाव देरी से होते हैं, तो पार्टी के समर्थन में कमी आ सकती है। नेहरू मंत्रिमंडल लाॅर्ड माउंटबेटन के निमंत्रण पर बना था। नेहरू का यह भी मानना था कि देश के विभाजन के वक्त जनता की राय नहीं ली गई थी।

नेहरू का मत था कि भारत की संविधान सभा को जनता का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि इसका गठन अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से हुआ था। राज्यों की असेंबलियों ने चुनाव में भाग लिया था, जिसको कुछ सीमित अधिकार वाले मतदाताओं ने चुना था। 

कांग्रेस कार्य समिति का भी मत था कि पार्टी का जनाधार लगातार कम हो रहा है। पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में विपक्ष मजबूत हो रहा है। चुनाव कराने में देरी कांग्रेस के हित में नहीं है। पर, जवाहर लाल नेहरू की शीघ्र चुनाव कराने की कोशिश कामयाब नहीं हुई।