क्या दाल में बनने वाला सफेद झाग सेहत के लिए होता है खतरनाक? ये रहा जवाब

आजकल सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कैसे भीगी हुई दालें या पकी हुई दालें, जिनके ऊपर एक झागदार सफेद परत होती है. जिसे सैपोनिन कहते हैं, अगर रोजाना इसे ऐसे ही खाया

क्या दाल में बनने वाला सफेद झाग सेहत के लिए होता है खतरनाक? ये रहा जवाब

आजकल सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कैसे भीगी हुई दालें या पकी हुई दालें, जिनके ऊपर एक झागदार सफेद परत होती है. जिसे सैपोनिन कहते हैं, अगर रोजाना इसे ऐसे ही खाया जाए तो क्या सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. आज हम इसके पीछे के साइंस के बारे में बात करेंगे. आज हम बताएंगे कि दाल कैसे पकाई जाती है और साथ ही जानेंगे दाल किस तरह से पकाना चाहिए? सैपोनिन यह एक नैचुरल पदार्थ है जो कई तरह की दाल और फलियों में पाई जाती है. यह एक तरह से फलियों और पौधों को सुरक्षा प्रदान करती है. 

दूसरे तरीके से देखें तो दाल पकाते समय बनने वाला सफेद झाग आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है.

प्यूरीन

झाग में प्यूरीन होता है, जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है. यूरिक एसिड हाई लेवल की किडनी की बीमारी का कारण बन सकती है. दिल के दौरे और जोड़ों की समस्याओं जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.

सैपोनिन

झाग में सैपोनिन भी होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यौगिक हैं जो पेट फूलने और पेट खराब होने जैसी पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं.

एक तरह का प्रोटीन निकलना

झाग हवा के कणों के कारण होता है जो दाल में मौजूद प्रोटीन को उबालने पर निकलते हैं.

स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए, आप दाल खाने से पहले झाग को हटा सकते हैं.

झाग को हटाने के लिए चम्मच, करछुल या चाय के दाग हटाने वाले उपकरण का उपयोग करें.

दाल को प्रेशर कुकर के बजाय खुले कंटेनर में पकाएं.

सैपोनिन आयरन और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है. जैसे-जैसे पौधे में इनकी कमी होती है. कई रिसर्च से पता चलता है को  सैपोनिन में सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण हो सकते हैं. जिसके कई फायदे हैं. सैपोनिन अधिक खाने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि सूजन और गैस, और यह आंत के माइक्रोबायोटा के संतुलन को प्रभावित कर सकता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.