फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से लेकर सांस्कृतिक रिश्तों तक: ब्रिटेन में पीएम मोदी का प्रभाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्रिटेन से जुड़ाव 1993 से शुरू हुआ और अब एक मजबूत प्रवासी कूटनीति और आर्थिक साझेदारी में बदल चुका है। उनकी ऐतिहासिक यात्राओं ने भारत-ब्रिटेन संबंधों को नई ऊंचाई दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय ब्रिटेन दौरे पर हैं। यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम मानी जा रही है, खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के लिए बातचीत के लिहाज से। यह पीएम मोदी की चौथी ब्रिटेन यात्रा है, जबकि कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी पहली। लंदन पहुंचते ही उनका जोरदार स्वागत हुआ, जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी समुदाय उनका बेसब्री से इंतजार कर रहा था।
लेकिन नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के बीच संबंध सिर्फ इस दौरे तक सीमित नहीं हैं। उनका जुड़ाव 1993 से शुरू हुआ था, जब वे भाजपा के एक कार्यकर्ता के रूप में पहली बार ब्रिटेन पहुंचे थे।
1993 में नरेंद्र मोदी का पहला ब्रिटेन दौरा हुआ था, जो अमेरिका से लौटते समय अचानक तय हुआ था। न कोई बड़ा मंच था, न कोई तय कार्यक्रम, लेकिन उन्होंने इस मौके को भारतीय प्रवासी समुदाय से जुड़ने के लिए इस्तेमाल किया। लंदन अंडरग्राउंड में आम भारतीयों से बातचीत, 'सनराइज रेडियो' और गुजराती समाचार पत्रों से मुलाकात – ये सब उनकी दूरदृष्टि का परिचायक रहे।
लोकसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत के बाद नरेंद्र मोदी 1999 में एक बार फिर ब्रिटेन पहुंचे। लंदन के नीसडेन स्थित स्वामीनारायण स्कूल में 'ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके)' के ऐतिहासिक कार्यक्रम में उन्होंने पार्टी के राष्ट्रवादी मूल्यों और भारतीय लोकतंत्र की शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारत के ‘संस्कृति दूत’ बताया और बीजेपी को एक विचारधारा से जुड़ा आंदोलन कहा।
2000 में नरेंद्र मोदी कैरेबियन और अमेरिका यात्रा के दौरान लंदन में एक बार फिर रुके। इस बार उन्होंने ब्रिटिश उप-प्रधानमंत्री जॉन प्रेस्कॉट से मुलाकात की और एशिया में राजनीतिक स्थिरता, वैश्विक आतंकवाद और दक्षिण एशिया की स्थिति पर गहन चर्चा की। यह वही समय था जब वैश्विक स्तर पर आतंकवाद पर चर्चा शुरू ही हुई थी और नरेंद्र मोदी ने इसे मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था – 9/11 हमलों से एक साल पहले।
2001 में आए भुज भूकंप के बाद नरेंद्र मोदी ने 2003 में ब्रिटेन का दौरा किया, तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस यात्रा का उद्देश्य उन प्रवासी भारतीयों का आभार जताना था जिन्होंने राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर मदद की थी। लंदन के वेम्बली कॉन्फ्रेंस सेंटर में उन्होंने हजारों प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए उन्हें “गुजरात के सच्चे मित्र” कहा।
2011 में गुजरात की स्वर्ण जयंती के अवसर पर नरेंद्र मोदी ने लंदन के मेफेयर में आयोजित कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित किया। गांधीनगर से ‘जूम’ के जरिए उन्होंने ब्रिटिश सांसदों, लॉर्ड्स और सामुदायिक नेताओं से संवाद किया। उन्होंने “महात्मा मंदिर” के निर्माण में प्रवासी गुजरातियों के योगदान की सराहना की और उन्हें भारत-निर्माण का भागीदार बताया।
वर्तमान यात्रा के दौरान पीएम मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर महत्वपूर्ण चर्चा होने की उम्मीद है। यह दौरा केवल आर्थिक संबंधों को नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव को भी एक नई दिशा देगा। लंदन एक बार फिर मोदीमय हो चुका है, और प्रवासी भारतीयों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।