सड़क पर चलते-चलते चार्ज होगी इलेक्ट्रिक कारें : सड़क चार्जिंग तकनीक से ई-व्हीकल्स को मिलेगी नई ताकत

नई सड़क चार्जिंग तकनीक से इलेक्ट्रिक वाहनों को अब चलते-चलते बैटरी चार्ज करने की सुविधा मिलेगी। इससे चार्जिंग स्टेशन पर रुकने की ज़रूरत घटेगी और EV सेक्टर में क्रांति आएगी।

सड़क पर चलते-चलते चार्ज होगी इलेक्ट्रिक कारें : सड़क चार्जिंग तकनीक से ई-व्हीकल्स को मिलेगी नई ताकत

आज की दुनिया तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रही है। प्रदूषण कम करने और पेट्रोल-डीज़ल पर निर्भरता घटाने के लिए इलेक्ट्रिक कारों को भविष्य का सबसे बड़ा समाधान माना जा रहा है। लेकिन अब तक इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी चुनौती रही है – चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर। लंबी दूरी तय करने के लिए बार-बार चार्जिंग स्टेशन पर रुकना पड़ता है, जिससे समय की बर्बादी होती है और ड्राइवरों को "रेंज एंग्ज़ाइटी" का सामना करना पड़ता है। इसी समस्या का हल लेकर आई है एक नई तकनीक – रोड चार्जिंग सिस्टम, जिसमें वाहन सड़क पर चलते हुए ही चार्ज हो जाता है।

सड़क चार्जिंग तकनीक क्या है?

सड़क चार्जिंग को डायनेमिक वायरलेस चार्जिंग भी कहा जाता है। इस तकनीक में सड़क के अंदर चार्जिंग कॉइल्स बिछाई जाती हैं। जब इलेक्ट्रिक कार या बस इस सड़क पर चलती है, तो वाहन के नीचे लगे रिसीवर कॉइल्स उन कॉइल्स से निकलने वाली ऊर्जा को पकड़ लेते हैं। यह ऊर्जा वायरलेस तरीके से बैटरी तक पहुंचती है और वाहन चलते-चलते चार्ज हो जाता है।

इस तरह, ड्राइवर को चार्जिंग स्टेशन पर रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ती और गाड़ी लगातार चलती रहती है।

किन देशों में हो रहे हैं प्रयोग?

स्वीडन ने पहली बार एक "इलेक्ट्रिक रोड" का सफल परीक्षण किया है, जिसमें कारें चलते-चलते चार्ज हो सकती हैं।

दक्षिण कोरिया ने बसों के लिए अंडरग्राउंड वायरलेस चार्जिंग सिस्टम बनाया है।

जर्मनी और इज़रायल भी इस दिशा में बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं।

भारत में अभी यह तकनीक शुरुआती चरण में है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले 10 सालों में बड़े शहरों और हाइवे पर यह तकनीक देखने को मिल सकती है।

क्या होंगे फायदे?

रेंज की समस्या खत्म – लंबी दूरी तय करने पर भी बैटरी खत्म होने का डर नहीं रहेगा।

छोटी बैटरियों का इस्तेमाल – गाड़ियों में बड़ी बैटरी लगाने की ज़रूरत नहीं होगी, जिससे लागत कम होगी।

समय की बचत – चार्जिंग स्टेशन पर खड़े होने की परेशानी खत्म होगी।

ग्रीन एनर्जी का उपयोग – अगर सड़क चार्जिंग सिस्टम नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ा होगा तो प्रदूषण और भी कम होगा।

चुनौतियाँ भी हैं

सड़क में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बिछाने में बहुत अधिक लागत आएगी।

तकनीक को बड़े स्तर पर लागू करना आसान नहीं होगा।

वाहन कंपनियों को भी अपनी गाड़ियों में इस तकनीक के अनुरूप बदलाव करने होंगे।

सड़क चार्जिंग तकनीक न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में क्रांति ला सकती है, बल्कि भविष्य में परिवहन के पूरे ढांचे को बदल सकती है। जब सड़क ही ऊर्जा का स्रोत बन जाएगी, तो पेट्रोल पंप और पारंपरिक चार्जिंग स्टेशनों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी। यह तकनीक अभी विकास के दौर में है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले वर्षों में यह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का भविष्य तय करने वाली तकनीक साबित होगी।