लोहे की सलाखों के बीच मनाया रक्षाबंधन, छलक उठीं भावनाएँ
गरियाबंद जेल में रक्षाबंधन पर बहनों ने भाइयों को राखी बाँधकर प्रेम, विश्वास और सुधार का संदेश दिया, जिससे कैदियों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगी।

गरियाबंद जेल में इस बार रक्षाबंधन का पर्व भावनाओं और आँसुओं से भरा रहा। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दूर-दराज के इलाकों से आई बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर प्रेम और विश्वास का धागा बाँधा। जेल प्रशासन ने परिजनों के लिए सुरक्षा, बैठने की सुविधा, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की, जिससे उन्हें किसी असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके बावजूद माहौल में बिछड़ने का दर्द और भावनाओं की लहर स्पष्ट दिखाई दी।
राखी बाँधते समय कई बहनें अपने भाइयों से अपराध का रास्ता छोड़कर सही मार्ग अपनाने की भावुक अपील करती रहीं। भाई भी नम आँखों से अपनी गलतियों पर पछतावा जताते और भविष्य में सुधार का वादा करते दिखे। कई बहनों ने भाइयों से सुधार की शपथ भी दिलवाई। इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चे भी अपने मामा, मौसा या फूफा से मिलने पहुँचे। उनके चेहरों पर अपनों से मिलने की खुशी और जुदाई का दर्द साफ झलक रहा था।
जेल प्रशासन का मानना है कि रक्षाबंधन जैसे त्योहार कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर प्रदान करते हैं। यह पर्व उन्हें परिवार से जुड़ाव और भावनात्मक सहारा देता है, जो उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने और बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है।