UP: बरेली सेंट्रल जेल में कैदियों की बनाई कुर्सी पर बैठकर फैसले सुना रहे जज, महाकुंभ में भी लगी प्रदर्शनी

सेंट्रल जेल से प्रदेश भर की अदालतों और दफ्तरों में भेजा जाता है फर्नीचर

UP: बरेली सेंट्रल जेल में कैदियों की बनाई कुर्सी पर बैठकर फैसले सुना रहे जज, महाकुंभ में भी लगी प्रदर्शनी

बरेली सेंट्रल जेल के कैदियों की बनाई कुर्सियों पर बैठकर जज फैसले सुना रहे हैं। इस जेल में बना फर्नीचर प्रदेश भर की अदालतों, सरकारी दफ्तरों व जेलों में उपयोग किया जा रहा है। स्वरोजगार से जुड़कर यहां के कैदी कमाई कर रहे हैं। जेल की फर्नीचर यूनिट का जलवा इस बार महाकुंभ में भी दिख रहा है। वहां जेल प्रशासन की ओर से कैदियों द्वारा बनाए गए उत्कृष्ट फर्नीचर की प्रदर्शनी और बिक्री स्टॉल लगाया गया है।

बरेली सेंट्रल जेल की काष्ठ कला इकाई में अनुदेशक कौशल किशोर की देखरेख में 65 कैदी काम करते हैं। पुराने व अनुभवी कारीगर नए कैदियों से काम कराते हैं। कौशल किशोर के मुताबिक, बहराइच के भिनगा में वन विभाग के डिपो से जेल प्रशासन का करार है। वहां से शीशम की छह से आठ साल पुरानी लकड़ी थोक में मंगाई जाती है। जेल में आरा मशीन सहित अन्य संसाधन मौजूद हैं।

यहां कैदी कुर्सी, मेज, सोफा, टेबल, चार तरह की रैक समेत विभिन्न प्रकार का ऑफिस फर्नीचर बनाते हैं। हर तीसरे दिन ये फर्नीचर एक बड़े ट्रक में भरकर संबंधित जेलों, कोर्ट व कार्यालयों को भेजे जाते हैं। इस काम के बदले बंदियों को भुगतान भी मिलता है, जिससे वह जरूरत की चीजें मंगा सकते हैं।

खासतौर से बनाते हैं फोल्डिंग चेयर
यूं तो कई तरह के फर्नीचर सेंट्रल जेल में बनाए जाते हैं, पर यहां की फोल्डिंग चेयर खासी लोकप्रिय है। जेल प्रशासन का दावा है कि इस तरह की चेयर सामान्य तौर पर बाजार में भी नहीं मिलती है। इसे बनाने के लिए उपकरण भी जेल में ही तैयार किए गए हैं। यहां जजमेंट बॉक्स भी बनाया जाता है। इसमें जज अपनी जरूरी फाइलें रखकर लॉक लगा सकते हैं। बरेली कोर्ट व अन्य स्थानों पर समय-समय पर प्रदर्शनी लगाकर इन सामानों की बिक्री जाती है। इस समय महाकुंभ मेले में 14 तरीके का फर्नीचर भेजकर प्रदर्शनी लगाई गई है। इसकी बिक्री भी की जा रही है। कुंभ मेले के लिए दूसरी खेप भी तैयार हो गई है।
यहां के ऑर्डर पर चल रहा काम
अनुदेशक कौशल किशोर के मुताबिक, इस समय जिला कोर्ट लखनऊ, बरेली व सीतापुर, पीडब्ल्यूडी मुरादाबाद, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा कार्यालय मुरादाबाद, गाजियाबाद की ओर से फर्नीचर बनाने का काम मिला है। संबंधित जगह से मिले ऑर्डर के मुताबिक कार्य किया जा रहा है। इन दिनों धूप कम निकलने से पॉलिश सुखाने में कुछ दिक्कत आ रही है।
जेल से छूटे कैदियों ने अपनाया स्वरोजगार : गौतम
सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक अविनाश गौतम बताते हैं कि नए कैदियों को काम सिखाकर यहां हरफनमौला बनाया जाता है। इसके लिए युवा व कम सजा वाले कैदियों को चुना जाता है। यहां सजा पूरी होने के बाद कई कैदी फर्नीचर के काम से आजीविका कमा रहे हैं और समाज की मुख्य धारा से जुड़ गए हैं। पीलीभीत, गाजियाबाद व दिल्ली जाकर काम करने वाले कई पूर्व कैदी समय-समय पर जेल के अनुदेशक को अपनी तरक्की के बारे में जानकारी भी देते हैं।