लखनऊ में DRDO कॉन्क्लेव: MSMEs और स्टार्टअप्स को रक्षा उत्पादन में बढ़ावा
लखनऊ में DRDO के डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड टेस्टिंग सेंटर (DTTC) ने MSMEs और स्टार्टअप्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए बड़ा कॉन्क्लेव आयोजित किया। रक्षा उत्पादन, R&D और आत्मनिर्भर भारत पर खास जोर दिया गया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड टेस्टिंग सेंटर (DTTC) ने शनिवार को लखनऊ में एक भव्य कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) और स्टार्टअप्स को रक्षा अनुसंधान, विकास और उत्पादन से जोड़ना था। इसे उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
इस कॉन्क्लेव में सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें MSMEs, स्टार्टअप्स और लघु उद्योग भारती से जुड़े उद्योगपति शामिल थे। चर्चा के दौरान कौशल विकास, अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए वित्तीय सहायता, तकनीकी परामर्श, नई तकनीक का विकास और DRDO द्वारा टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
उद्घाटन संबोधन में DRDO के चेयरमैन ने बताया कि DTTC, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की दूरदर्शी सोच का परिणाम है और अब यह उद्योगों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है। उन्होंने प्रतिभागियों को उद्योग-केंद्रित नीतियों और DRDO द्वारा उपलब्ध कराई जा रही तकनीकों की जानकारी दी। साथ ही MSMEs से रक्षा अनुसंधान और नवाचार में सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि DRDO पूरी तरह MSMEs का सहयोग करेगा, ताकि वे आत्मनिर्भर भारत और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे सकें।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस अवसर पर DRDO और MSMEs को कॉन्क्लेव के आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में MSMEs की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस मौके पर DRDO के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे, जिनमें डॉ. एल.सी. मंगल (महानिदेशक, प्रौद्योगिकी प्रबंधन) और डॉ. मयंक द्विवेदी (महानिदेशक, मानव संसाधन) विशेष रूप से शामिल रहे।