Haryana: यमुनानगर में तटबंध से राहत की बजाए मिली आफत, सोम व पथराला के पानी से 500 एकड़ फसल बर्बाद
यमुनानगर के साढौरा में सिंचाई विभाग की ओर से नकटी नदी पर बनाया गया तटबंध कस्बावासियों को राहत की बजाए आफत का पर्याय बन गया है।

यमुनानगर के साढौरा में सिंचाई विभाग की ओर से नकटी नदी पर बनाया गया तटबंध कस्बावासियों को राहत की बजाए आफत का पर्याय बन गया है। आरोप है कि नगरपालिका व कस्बावासियों के विरोध के बावजूद सिंचाई विभाग ने मनमानी करते हुए तटबंध बनाया। तटबंध के कारण नदी के प्रवाह क्षेत्र का दायरा कम हो गया और पानी कस्बे के कई मोहल्लों तक पहुंचकर परेशानी का सबब बन गया।
कस्बे के कई क्षेत्र नदी के प्रवाह क्षेत्र से नीचे होने के कारण बरसात के दौरान नदी का पानी इन क्षेत्रों की तरफ रुख कर जाता है, जिसके कारण कई मोहल्लों में जलभराव होने से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। इस समस्या के समाधान के लिए नगरपालिका नकटी नदी की खोदाई करवाने की पक्षधर रही है।
वहीं सिंचाई विभाग ने नदी की खोदाई करवाने की बजाए मई के शुरू में तटबंध बनाना शुरू किया। इस पर नगर पालिका की चेयरपर्सन शालिनी शर्मा सहित सभी पार्षदों ने इस बारे में डीसी एवं एसडीएम से गुहार की। इसके बावजूद सिंचाई विभाग ने मनमानी करते हुए नदी की खुदाई करने की बजाए तटबंध बनाने का काम जारी रखा। इस तटबंध के बनाने से नदी का प्रवाह क्षेत्र पहले से भी कम हो गया। नतीजा नदी के उफनते पानी के कारण कस्बे में जलभराव हो गया।
यही नहीं सिंचाई विभाग ने तो कस्बे के पानी की निकासी के लिए पुलिया या पाइप तक नहीं बिछाए। चेयरपर्सन व सभी पार्षदों के विरोध करने पर निकासी के लिए दो पाइप बिछाए गए लेकिन वो भी पानी की मात्रा के मुकाबले नाकाफी सिद्ध हुए। आखिरकार प्रशासन के आदेशों पर इस तटबंध को स्टेडियम व श्मशान घाट के पास तोड़ने के बाद ही पानी की निकासी संभव हो सकी। चेयरपर्सन शर्मा ने जलभराव के कारण हुए नुकसान के लिए सिंचाई विभाग को दोषी ठहराया है।
रिटायर्ड बीईओ ने भी किया था विरोध
रिटायर्ड बीईओ अख्तर अली ने भी तटबंध बनाए जाने के दौरान ही नदी में अवैध कब्जों को बचाने के आरोप लगाए थे। तब उन्होंने कहा था लगता है कि यह तटबंध कस्बे की सुरक्षा की बजाए अवैध कब्जों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया जा रहा है। दरअसल, अवैध कब्जों को हटाने के बजाए कुछ हटकर तटबंध बना दिया गया। इस कारण अवैध कब्जे तो नदी की मार से सुरक्षित हो गए लेकिन नदी का प्रवाह क्षेत्र पहले से भी कम होने से कस्बावासियों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।