सीएम मोहन यादव ने मेलियोडोसिस पर जताई चिंता, एम्स भोपाल रिपोर्ट के बाद दिए सख्त निर्देश
एम्स भोपाल की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश के 20 से अधिक जिलों में मेलियोडोसिस के मामले सामने आए। यह खतरनाक बैक्टीरियल बीमारी धान किसानों, डायबिटीज मरीजों और शराब सेवन करने वालों के लिए बड़ा खतरा है।

भोपाल : एम्स भोपाल की हालिया रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार और किसानों के लिए चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य के 20 से अधिक जिलों में मेलियोडोसिस (Melioidosis) नामक खतरनाक बैक्टीरियल बीमारी के मामले मिल रहे हैं। यह बीमारी लक्षणों में क्षय रोग (टीबी) जैसी दिखती है, लेकिन इसका कारण Burkholderia pseudomallei नामक बैक्टीरिया है, जो गीली मिट्टी और रुके हुए पानी में तेजी से पनपता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी का सबसे अधिक खतरा धान के गीले खेतों में नंगे पांव काम करने वाले किसानों को है। इसके अलावा डायबिटीज के मरीज और अत्यधिक शराब का सेवन करने वाले लोग भी आसानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य और कृषि विभाग को संयुक्त रूप से जांच, इलाज और जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों और आम जनता का स्वास्थ्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बीमारी के लक्षणों और बचाव के उपायों की जानकारी दी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी को लगातार बुखार, पुरानी खांसी या सीने में दर्द हो और टीबी की दवा से आराम न मिले, तो तुरंत मेलियोडोसिस की जांच और इलाज की व्यवस्था की जाएगी।
उधर, एम्स भोपाल ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि वे टीबी जैसी दिखने वाली इस बीमारी को पहचानकर सही एंटीबायोटिक दवाओं से समय पर इलाज कर सकें।
सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे बरसात के बाद धान की खेती करते समय आवश्यक सावधानियां बरतें। किसी भी अज्ञात बुखार या सांस की तकलीफ की स्थिति में तुरंत नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी गई है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि समय पर पहचान और सही इलाज ही मौतों को रोकने का सबसे प्रभावी उपाय है।