समाज कल्याण योजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों का उत्तरदायित्व तय
समाज कल्याण विभाग ने योजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं और धनराशि के दुरुपयोग के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों की जवाबदेही तय की, अपात्र लाभ पर वसूली और विभागीय कार्रवाई का आदेश जारी।

समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित योजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं और धनराशि के दुरुपयोग की स्थिति में संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों और संस्थानों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। यह आदेश राज्य सरकार द्वारा योजनाओं में शासकीय क्षति की वसूली और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
इन योजनाओं में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति, राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ, मुख्यमंत्री अभ्युदय, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह, अनुसूचित जाति/सामान्य वर्ग के निर्धन व्यक्तियों की पुत्रियों की शादी योजना, अंतर्जातीय विवाह, माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धाश्रम संचालन, और एनजीओ/अनुदान आधारित अनुसूचित जाति अत्याचार उत्पीड़न शामिल हैं।
अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण श्री वेंकटेश्वर लू ने आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, ऑनलाइन आवेदन में प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच ग्राम विकास अधिकारी/ग्राम पंचायत अधिकारी/सहायक विकास अधिकारी/समाज कल्याण पर्यवेक्षक और अन्य संबंधित अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लाभार्थियों के लिए वार्षिक आय सीमा शासन द्वारा निर्धारित की गई है। यदि किसी मामले में आय प्रमाण पत्र त्रुटिपूर्ण जारी होता है और आवेदक अपात्र होते हुए भी योजना का लाभ पाता है, तो इसके लिए संबंधित उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो या लेखपाल जिम्मेदार होंगे।
ऑनलाइन आवेदन के साथ संलग्न अभिलेखों की पुष्टि जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा भी की जाएगी। यदि जांच में कोई आवेदक लाभ प्राप्त होने के बाद अपात्र पाया जाता है, तो संबंधित जिला अधिकारी और अन्य कार्मिक भी दोषी माने जाएंगे।
आवश्यक धनराशि का अंतरण निदेशालय समाज कल्याण द्वारा PFMIS के माध्यम से किया जाएगा। भविष्य में यदि कोई अपात्र पाया जाता है, तो संयुक्त निदेशक/उप निदेशक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी और समानुपातिक रूप से शासकीय क्षति वसूली जाएगी।
जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय, अनुदानित विद्यालय, राजकीय गोविन्द बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और अन्य संस्थानों में वित्तीय हानि पाए जाने पर संबंधित संस्थान/विभागाध्यक्ष एवं आहरण-वितरण अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यदि किसी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा अभिलेखों में बदलाव कर धन का दुरुपयोग किया गया, तो विधिक कार्रवाई के साथ पूरी राशि की वसूली की जाएगी। शासकीय क्षति की वसूली पहले वेतन देयकों से की जाएगी। यदि यह संभव नहीं, तो अवशेष राशि सिविल लायबिलिटी के माध्यम से सक्षम न्यायालय द्वारा वसूली जाएगी।
नियुक्ति प्राधिकारी स्तर से किसी भी असमंजस की स्थिति का समाधान करते हुए शासकीय धनराशि की वसूली सुनिश्चित की जाएगी।