सरकार ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक व्यापक परामर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजने पर सहमत

सरकार ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक व्‍यापक विचार विमर्श के लिए संयुक्‍त संसदीय समिति को भेजने पर सहमत हो गयी है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी

सरकार ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक व्यापक परामर्श के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजने पर सहमत

सरकार ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक व्‍यापक विचार विमर्श के लिए संयुक्‍त संसदीय समिति को भेजने पर सहमत हो गयी है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सुझाव दिया था कि विधेयक संयुक्‍त संसदीय समिति को भेजा जाना चाहिए ताकि इस पर प्रत्‍येक स्‍तर पर विस्‍तृत विचार विमर्श हो सके। श्री शाह का यह बयान कल लोकसभा में विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा एक सौ 29वां संविधान संशोधन विधेयक और केंद्रशासित प्रदेश विधि संशोधन विधेयक पेश किये जाने पर शोर-शराबे के बीच आया। लोकसभा में ये विधेयक पेश किये जाने के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति व्‍यक्‍त की। श्री मेघवाल ने इस आपत्ति को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि सरकार इसे संयुक्‍त संसदीय समिति को भेजने को तैयार है। इन दोनों विधेयकों का उद्देश्‍य देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराना है।

संयुक्‍त संसदीय समिति किसी विशिष्‍ट विषय या विधेयक की व्‍यापक समीक्षा के लिए संसद द्वारा गठित तदर्थ समिति है। इसमें दोनों सदनों के तथा सत्तारूढ और विपक्षी दलों के सदस्‍य शामिल होते हैं। हालांकि समिति की संरचना और सदस्‍यों की संख्‍या सीमित नहीं है। संबंधित विषय की समीक्षा के बाद संयुक्‍त संसदीय समिति भंग कर दी जाती है। समिति की सिफारिशें परामर्श रूप में होती हैं और सरकार इसे मानने के लिए बाध्‍य नहीं है। समिति विशेषज्ञों से राय ले सकती है तथा सार्वजनिक निकायों, संघों, व्‍यक्तियों और अन्‍य संबंधित पक्षों से भी परामर्श कर सकती है।