उस साल सिनेमा जगत में जो हुआ वो न पहले कभी हुआ था और न फिर कभी होगा, जानें किसने किया था ये चमत्कार

डायरेक्टर रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) की ऐतिहासिक फिल्म 'शोले' 1975 में आई. ये फिल्म कमाल कर गई और फिर करती ही रही. इसके बाद 'शान' जैसी बिग बजट मल्टीस्टारर फिल्म भी उन्होंने बनाई. इसमें भी शोले की तरह ही अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) लीड में थे. लेकिन रमेश सिप्पी उन डायरेक्टर्स में थे जो इतिहास रचने के लिए जाने जाते हैं. इसलिए वो रुकने वाले नहीं थे. पिछली बार 'शोले' बनाकर रमेश सिप्पी ने इतिहास रचा तो इस बार 'शक्ति' (1982) बनाकर उन्होंने वो अद्भुत काम कर दिया जो न उनके पहले कोई कर पाया और न उनके बाद. और ये अद्भुत बात फिल्म की कमाई से जुड़ी नहीं थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में कोई कमाल नहीं किया. तो फिर क्या था जो इस फिल्म को अद्भुत बनाता है?           View this post on Instagram                       A post shared by Ramesh Sippy (@rameshsippy47) क्या अद्भुत था 'शक्ति' में?एक तरफ दिलीप कुमार (Dilip Kumar) जिनकी एक्टिंग की कोई सानी नहीं है. दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन जिन्हें एक्टिंग का इंस्टीट्यूशन समझा जाता है. ये अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं था कि रमेश सिप्पी ने इन दोनों महानायकों को एक ही फिल्म में कास्ट कर लिया. जैसे ही ये खबर फैली, चर्चा का विषय बन गई. फिल्मों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ये बहस का मुद्दा था कि कौन किस पर भारी पड़ेगा. क्या कहना था फिल्म पर रमेश सिप्पी का?रमेश सिप्पी ने लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें पता था कि ये फिल्म पिता और बेटे की कहानी दिखाने वाली बेहतरीन फिल्म होगी. उन्होंने कहा था कि वो ये भी जानते थे कि अमिताभ और दिलीप के साथ आने की वजह से ये फिल्म पूरी तरह से अलग फिल्म बन जाएगी. हालांकि, फिल्म अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. लेकिन ये फिल्म आज भी बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है. उन्होंने बताया था कि जब ये फिल्म रिलीज हुई तब तक अमिताभ अपने आप में एक इस्टीट्यूशन बन चुके थे. वो नाच, गाना, प्यार-मोहब्ब्त सब कुछ करते थे, लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ था ही नहीं. इसलिए शायद लोगों को निराशा हुई. हालांकि, वो बताते हैं कि फिल्म में कुछ नाच गाना तो होना ही चाहिए. लेकिन बाद में हमने फैसला लिया कि ये फिल्म इन सबके बिना ही बेहतर बनेगी. इसलिए हमने फैसला किया कि हम ऐसा कोई समझौता नहीं करेंगे. अमिताभ-दिलीप के बीच का गजब का रिश्ता बनाने वाले रमेश सिप्पीरिपोर्ट्स के मुताबिक, अमिताभ जब करियर के पीक पर थे उस समय उन्होंने सिर्फ दिलीप कुमार का नाम सुनते ही शक्ति में सेकेंड लीड करने को तैयार हो गए थे. वो दिलीप कुमार के साथ काम करने के इतने इच्छुक थे कि उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि वो सेकेंड लीड में आ रहे हैं वो भी ऐसी किसी फिल्म में जिसकी कहानी दिलीप कुमार के इर्द-गिर्द हो. साल 2004 में आई अमिताभ की फिल्म 'खाकी' में अमिताभ का रोल भी शक्ति में दिलीप कुमार के रोल से प्रेरित था. हालांकि, दिलीप और अमिताभ के बीच जो लगाव वाला रिश्ता इस फिल्म के बाद बना उसका सार्वजनिक प्रमाण साल 2005 में अमिताभ की फिल्म 'ब्लैक' आने के बाद मिला. दिलीप कुमार ने अमिताभ को खत लिखकर उनकी तारीफ की थी. बता दें अमिताभ को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नैशनल अवॉर्ड भी मिला था. तो ये कहना गलत नहीं होगा कि रमेश सिप्पी ने जो चमत्कार और पढ़ें: वो डायरेक्टर जिसकी फिल्म 4 दिन तक चली ही नहीं, फिर जब चली तो साढ़े 4 साल तक रुकी ही नहीं!

उस साल सिनेमा जगत में जो हुआ वो न पहले कभी हुआ था और न फिर कभी होगा, जानें किसने किया था ये चमत्कार

डायरेक्टर रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) की ऐतिहासिक फिल्म 'शोले' 1975 में आई. ये फिल्म कमाल कर गई और फिर करती ही रही. इसके बाद 'शान' जैसी बिग बजट मल्टीस्टारर फिल्म भी उन्होंने बनाई. इसमें भी शोले की तरह ही अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) लीड में थे. लेकिन रमेश सिप्पी उन डायरेक्टर्स में थे जो इतिहास रचने के लिए जाने जाते हैं. इसलिए वो रुकने वाले नहीं थे.

पिछली बार 'शोले' बनाकर रमेश सिप्पी ने इतिहास रचा तो इस बार 'शक्ति' (1982) बनाकर उन्होंने वो अद्भुत काम कर दिया जो न उनके पहले कोई कर पाया और न उनके बाद. और ये अद्भुत बात फिल्म की कमाई से जुड़ी नहीं थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस में कोई कमाल नहीं किया. तो फिर क्या था जो इस फिल्म को अद्भुत बनाता है?

 
 
 
 
 
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क्या अद्भुत था 'शक्ति' में?
एक तरफ दिलीप कुमार (Dilip Kumar) जिनकी एक्टिंग की कोई सानी नहीं है. दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन जिन्हें एक्टिंग का इंस्टीट्यूशन समझा जाता है. ये अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं था कि रमेश सिप्पी ने इन दोनों महानायकों को एक ही फिल्म में कास्ट कर लिया. जैसे ही ये खबर फैली, चर्चा का विषय बन गई. फिल्मों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ये बहस का मुद्दा था कि कौन किस पर भारी पड़ेगा.

क्या कहना था फिल्म पर रमेश सिप्पी का?
रमेश सिप्पी ने लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें पता था कि ये फिल्म पिता और बेटे की कहानी दिखाने वाली बेहतरीन फिल्म होगी. उन्होंने कहा था कि वो ये भी जानते थे कि अमिताभ और दिलीप के साथ आने की वजह से ये फिल्म पूरी तरह से अलग फिल्म बन जाएगी. हालांकि, फिल्म अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. लेकिन ये फिल्म आज भी बॉलीवुड की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है.

उन्होंने बताया था कि जब ये फिल्म रिलीज हुई तब तक अमिताभ अपने आप में एक इस्टीट्यूशन बन चुके थे. वो नाच, गाना, प्यार-मोहब्ब्त सब कुछ करते थे, लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ था ही नहीं. इसलिए शायद लोगों को निराशा हुई. हालांकि, वो बताते हैं कि फिल्म में कुछ नाच गाना तो होना ही चाहिए. लेकिन बाद में हमने फैसला लिया कि ये फिल्म इन सबके बिना ही बेहतर बनेगी. इसलिए हमने फैसला किया कि हम ऐसा कोई समझौता नहीं करेंगे.

अमिताभ-दिलीप के बीच का गजब का रिश्ता बनाने वाले रमेश सिप्पी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमिताभ जब करियर के पीक पर थे उस समय उन्होंने सिर्फ दिलीप कुमार का नाम सुनते ही शक्ति में सेकेंड लीड करने को तैयार हो गए थे. वो दिलीप कुमार के साथ काम करने के इतने इच्छुक थे कि उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि वो सेकेंड लीड में आ रहे हैं वो भी ऐसी किसी फिल्म में जिसकी कहानी दिलीप कुमार के इर्द-गिर्द हो.

साल 2004 में आई अमिताभ की फिल्म 'खाकी' में अमिताभ का रोल भी शक्ति में दिलीप कुमार के रोल से प्रेरित था. हालांकि, दिलीप और अमिताभ के बीच जो लगाव वाला रिश्ता इस फिल्म के बाद बना उसका सार्वजनिक प्रमाण साल 2005 में अमिताभ की फिल्म 'ब्लैक' आने के बाद मिला. दिलीप कुमार ने अमिताभ को खत लिखकर उनकी तारीफ की थी. बता दें अमिताभ को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नैशनल अवॉर्ड भी मिला था. तो ये कहना गलत नहीं होगा कि रमेश सिप्पी ने जो चमत्कार