मनरेगा से अधिक नारेबाजी में कमाई: 300 रुपये नकद... खाना-पानी फ्री के चक्कर में MNREGA मजदूर बन रहे कार्यकर्ता
चुनावी सीजन में मनरेगा मजदूरों की एक खेप विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के रूप में दिहाड़ी कर रही है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सस्ते में ठेके पर इनकी सप्लाई हो रही है। चुनावी सीजन में मनरेगा मजदूरों की एक खेप विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के रूप में दिहाड़ी कर रही है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सस्ते में ठेके पर इनकी सप्लाई हो रही है। झुलसाने वाली गर्मी में श्रमिकों को मजदूरी से ज्यादा नारेबाजी और प्रचार भा रहा है। रोजाना 300 रुपये नकद और खाना-पीना फ्री के चक्कर में मनरेगा मजदूरों को कार्यकर्ता बनना रास आ रहा है। प्रत्याशियों को भी ये पैकेज करीब 40 फीसदी तक सस्ता पड़ रहा है। अभिषेक गुप्ता की रिपोर्ट

चुनावी सीजन में मनरेगा मजदूरों की एक खेप विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के रूप में दिहाड़ी कर रही है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सस्ते में ठेके पर इनकी सप्लाई हो रही है।
चुनावी सीजन में मनरेगा मजदूरों की एक खेप विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के रूप में दिहाड़ी कर रही है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सस्ते में ठेके पर इनकी सप्लाई हो रही है। झुलसाने वाली गर्मी में श्रमिकों को मजदूरी से ज्यादा नारेबाजी और प्रचार भा रहा है। रोजाना 300 रुपये नकद और खाना-पीना फ्री के चक्कर में मनरेगा मजदूरों को कार्यकर्ता बनना रास आ रहा है। प्रत्याशियों को भी ये पैकेज करीब 40 फीसदी तक सस्ता पड़ रहा है। अभिषेक गुप्ता की रिपोर्ट
देश में पहली अप्रैल से मनरेगा मजदूरों को 337 रुपये मजदूरी मिल रही है। मजदूरी की दर में सात रुपये का इजाफा हुआ है। अप्रैल से पहले मनरेगा में मजदूरी 330 रुपये थी। चुनावी सीजन में मनरेगा मजदूरों की भी सहालग चल रही है।
कड़ी धूप में आठ घंटे की हाड़तोड़ मेहनत करने की जगह मनरेगा मजदूरों को नारेबाजी करना ज्यादा भा रहा है। इलाकाई नेताओं के लिए भी ये मजदूर मुफीद साबित हो रहे हैं। क्योंकि, दूसरे कार्यकर्ताओं के मुकाबले इनपर खर्च कम है। वहीं, ये भाव नहीं खाते और मेहनकश होने से इन्हें गर्मी-लू भी ज्यादा नहीं सताती।
कानपुर देहात, मिश्रिख, इटावा, घाटमपुर, हमीरपुर, महोबा से लेकर सहारनपुर, मेरठ, गजरौला, उतरौला, सोनभद्र, बलरामपुर तक मनरेगा मजदूरों की सेवाएं विभिन्न राजनीतिक दल ले रहे हैं। तीन प्रत्याशियों को प्रचार में सेवाएं देने वाली लखनऊ स्थित मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनी के एमडी बताते हैं कि गर्मी की वजह से गली-गली प्रचार करना चुनौती है।
प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के पास यूं तो कार्यकर्ताओं की लंबी-चौड़ी टीम है, लेकिन झुलसाती गर्मी उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा है। मतदाता पर्ची, पम्फलेट्स, डोर-टू-डोर कैम्पेन के लिए मनरेगा श्रमिकों को लिया जा रहा है।