सिगरेट से सिर्फ कैंसर नहीं, हाथ-पैर गंवाने का भी खतरा
तंबाकू और सिगरेट का सेवन शरीर को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है, यह हम सब जानते हैं। फेफड़ों को खराब करना, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को जन्म देना

तंबाकू और सिगरेट का सेवन शरीर को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है, यह हम सब जानते हैं। फेफड़ों को खराब करना, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को जन्म देना, दिल की बीमारियां और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं तंबाकू से जुड़ी आम परेशानियां हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि स्मोकिंग से एक ऐसी गंभीर और रेयर बीमारी भी हो सकती है, जो व्यक्ति को अपने हाथ-पैर तक गंवाने के कगार पर पहुंचा देती है। इस बीमारी को मेडिकल भाषा में बर्गर डिजीज या थ्रॉम्बोएंजाइटिस ओब्लिटेरेंस कहा जाता है। यह रोग भले ही बहुत आम न हो, लेकिन इसका असर इतना घातक है कि इसे नजरअंदाज करना किसी के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
बर्गर डिजीज मुख्य रूप से शरीर की छोटी और मिड-साइज़ ब्लड वेसल्स यानी रक्त नलिकाओं को प्रभावित करती है, खासकर हाथों और पैरों में। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक तंबाकू या निकोटिन का सेवन करता है, तो धीरे-धीरे उसकी रक्त नलिकाओं में सूजन आनी शुरू हो जाती है। इसके चलते ब्लड फ्लो में रुकावट पैदा होती है, जिससे संबंधित अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है। परिणामस्वरूप उस हिस्से के टिशू डैमेज होने लगते हैं, और समय रहते इलाज न होने पर यह डैमेज इतना बढ़ जाता है कि मरीज को हाथ या पैर कटवाने तक की नौबत आ जाती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, बर्गर डिजीज दुनियाभर में हर एक लाख लोगों में से 12 से 20 लोगों को प्रभावित करती है। भारत, अमेरिका और यूरोप में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। खासतौर पर भारत में यह स्थिति ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि यहां युवाओं में स्मोकिंग की लत तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 15 साल या उससे अधिक उम्र के लगभग 25.3 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। इसी कारण यहां बर्गर डिजीज का खतरा अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक है।
इस बीमारी का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसकी शुरुआत बहुत मामूली लक्षणों से होती है जिन्हें लोग अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। शुरुआत में व्यक्ति को हाथों या पैरों में हल्की ठंडक महसूस होती है, कभी-कभी चलने पर पिंडलियों या पंजों में दर्द भी हो सकता है। धीरे-धीरे यह दर्द बढ़ता जाता है और पैरों की उंगलियों में सूजन, घाव या रंग बदलने जैसी परेशानियां दिखाई देने लगती हैं। नसों में फड़कन, जलन या गांठों का बनना इसके गंभीर संकेत हैं। इन लक्षणों को अगर समय रहते नहीं पहचाना गया और तंबाकू का सेवन जारी रखा गया, तो स्थिति जानलेवा बन सकती है।
बर्गर डिजीज का कोई निश्चित इलाज नहीं है जिससे इसे पूरी तरह ठीक किया जा सके। इसलिए इससे बचाव ही सबसे बेहतर विकल्प है। सबसे पहला और जरूरी कदम है – तंबाकू से पूरी तरह दूरी बनाना। सिगरेट या बीड़ी छोड़ना आसान नहीं होता, लेकिन निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी जैसी आधुनिक तकनीकों की मदद से यह संभव है। इसके अलावा नियमित हेल्थ चेकअप करवाना, शरीर में किसी भी घाव या सूजन को नजरअंदाज न करना, हेल्दी डाइट लेना और फिजिकल एक्टिविटी को अपने रूटीन का हिस्सा बनाना इस बीमारी से दूर रहने के महत्वपूर्ण उपाय हो सकते हैं।
बर्गर डिजीज उन बीमारियों में से है जो शरीर को धीरे-धीरे अंदर से खत्म करती है। इसलिए जरूरी है कि हम इसकी गंभीरता को समझें और तंबाकू जैसे जहर से खुद को और अपने अपनों को दूर रखें। थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता एक इंसान को न केवल एक गंभीर बीमारी से बचा सकती है बल्कि उसकी ज़िंदगी की गुणवत्ता को भी बेहतर बना सकती है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जनहित में प्रस्तुत की गई है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।