भारत में नवाचार का नया युग: RDI योजना 2025 से बनेगा तकनीकी महाशक्ति का रास्ता
RDI योजना 2025 से भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक नवाचार में अग्रणी बनाने की पहल। एक लाख करोड़ की यह योजना अगले 50 वर्षों के लिए देश में रिसर्च और इनोवेशन की नई दिशा तय करेगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रिसर्च, डेवलपमेंट एंड इनोवेशन (RDI) योजना 2025 को मंजूरी देकर भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की ओर निर्णायक रूप से बढ़ा दिया है। अनुमानित 1 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली यह योजना अगले 50 वर्षों तक देश को उपभोक्ता से नवाचारकर्ता बनाने की दिशा में काम करेगी। इसका उद्देश्य उच्च जोखिम वाले, अत्याधुनिक क्षेत्रों में निजी निवेश को प्रेरित कर स्वदेशी तकनीकी विकास को मजबूती देना है।
रिसर्च में निजी भागीदारी को बढ़ावा
अब तक अनुसंधान का अधिकांश भार सार्वजनिक संस्थानों पर था और भारत का अनुसंधान व्यय GDP का केवल 0.6-0.7% रहा है। RDI योजना इस असंतुलन को दूर करते हुए निजी क्षेत्र को रिसर्च में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करेगी।
प्रधानमंत्री खुद करेंगे निगरानी
इस योजना को राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF) के माध्यम से लागू किया जाएगा, जिसकी सर्वोच्च समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। इसके तहत एक कार्यकारी परिषद और सचिवों का समूह भी बनाया जाएगा जो योजना की निगरानी करेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग योजना के क्रियान्वयन का मुख्य दायित्व संभालेगा।
दो चरणों में मिलेगा वित्तीय समर्थन
पहले चरण में ANRF को 50 वर्षों के लिए बिना ब्याज का ऋण मिलेगा। दूसरे चरण में एक स्पेशल पर्पज फंड के माध्यम से विभिन्न निवेश माध्यमों – जैसे वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs), NBFCs और DFIs – को यह धन दिया जाएगा ताकि वे आगे इनोवेशन से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश कर सकें।
साथ ही, ‘डीप-टेक फंड-ऑफ-फंड्स’ की स्थापना की जाएगी, जो जोखिमपूर्ण लेकिन संभावनाशील स्टार्टअप्स को पूंजी सहायता देगा।
प्राथमिकता आधारित तकनीकी क्षेत्र होंगे फोकस में
इस योजना का मुख्य फोकस ऐसे क्षेत्रों पर होगा जो भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और वैश्विक नेतृत्व से जुड़े हैं, जैसे –
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
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क्वांटम कंप्यूटिंग
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जैव प्रौद्योगिकी
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स्वच्छ ऊर्जा
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अर्धचालक व फार्मास्युटिकल्स
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अंतरिक्ष विज्ञान
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जलवायु परिवर्तन समाधान
नवाचार नीति में बदलाव की शुरुआत
RDI योजना भारत की नवाचार नीति को नीतिगत, रणनीतिक और आर्थिक रूप से नया दृष्टिकोण देती है। पहले जहां रिसर्च केवल बुनियादी विज्ञान तक सीमित था, अब उसे बाजार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा से जोड़ा जा रहा है। यह बदलाव भारत को एक इनवेशन-ड्रिवन इकोनॉमी बनाने की दिशा में निर्णायक होगा।
रिस्क कैपिटल की समस्या का समाधान
देश में अभी तक उच्च जोखिम वाले स्टार्टअप्स और रिसर्च को पूंजी की कमी झेलनी पड़ी। इस योजना के तहत रिस्क कैपिटल की व्यवस्था होगी, जिससे इन विचारों को न सिर्फ जीवंतता मिलेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने की ताकत भी।
रिसर्च-अनुकूल इकोसिस्टम का विकास
सरकार इस योजना के समानांतर एक शोध-अनुकूल वातावरण भी तैयार कर रही है, जिसमें शामिल हैं –
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अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं
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विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम
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विश्वविद्यालय और उद्योगों के बीच सहयोग
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पेटेंट और व्यावसायीकरण प्रणाली
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बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा
आत्मनिर्भरता की ओर ऐतिहासिक कदम
इससे पहले नवाचार पर आधारित योजनाएं संसाधनों और नीति बाधाओं के चलते अधूरी रह गई थीं। लेकिन इस बार सरकार ने दीर्घकालिक निवेश और जोखिम उठाने की स्पष्ट रणनीति अपनाई है। इससे यह स्पष्ट है कि भारत अब नवाचार को राष्ट्रीय विकास का केंद्रीय स्तंभ मानता है।
विकसित भारत 2047 की दिशा में RDI योजना
RDI योजना केवल वित्तीय निवेश नहीं, बल्कि भारत के नवाचार युग की शुरुआत है। यह योजना भारत को तकनीकी निर्भरता से मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाएगी और देश को ‘विकसित भारत 2047’ के विजन की ओर अग्रसर करेगी।