सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक छलांग : पीएम मोदी करेंगे सेमीकॉन इंडिया 2025 का शुभारंभ

पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में वैश्विक हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया 2025 से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो रहा है।

सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक छलांग : पीएम मोदी करेंगे सेमीकॉन इंडिया 2025 का शुभारंभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक नया अध्याय लिख रहा है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) ने देश को न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है, बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में स्थापित किया है। हाल ही में पीएम मोदी की जापान यात्रा ने इस महत्वाकांक्षा को नई ऊर्जा दी है, जिससे भारत की नवाचार क्षमता और वैश्विक सहयोग को और मजबूती मिली है। अब 2 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री मोदी सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्घाटन करेंगे, जो भारत की इस यात्रा को गति देगा।

आत्मनिर्भर भारत की ओर : इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन

दिसंबर 2021 में 76,000 करोड़ रुपए के निवेश से शुरू हुआ यह मिशन भारत को सेमीकंडक्टर डिजाइन, विनिर्माण और पैकेजिंग का हब बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। पिछले दो वर्षों में 6 राज्यों में 1.60 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के साथ 10 बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति मिली। गुजरात के साणंद में स्थापित कायन्स सेमीकॉन की यूनिट प्रतिदिन 60 लाख चिप्स बनाने में सक्षम होगी। वहीं नोएडा और बेंगलुरु में 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन सेंटर भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक बन चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि इस वर्ष के अंत तक देश अपनी पहली ‘मेड इन इंडिया चिप’ का शुभारंभ करेगा।

वैश्विक सहयोग : सिलिकॉन कूटनीति

पीएम मोदी की 29-30 अगस्त 2025 की जापान यात्रा ने भारत-जापान सहयोग को नई दिशा दी। जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ टोक्यो इलेक्ट्रॉन मियागी लिमिटेड के दौरे के दौरान दोनों देशों ने विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई। भारत-जापान डिजिटल साझेदारी 2.0 और आर्थिक सुरक्षा पहल से संयुक्त अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। भारत की डिजाइन क्षमता और जापान की उन्नत तकनीक मिलकर एक नई वैश्विक शक्ति का निर्माण कर रही हैं।

कौशल विकास : नए भारत की नई प्रतिभाएं

सेमीकंडक्टर उद्योग में 2030 तक 10 लाख कुशल पेशेवरों की आवश्यकता होगी। इसके लिए आईएसएम ने 278 कॉलेजों में इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन एप्लीकेशन (ईडीए) टूल्स की पढ़ाई शुरू की है और अब तक 60,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना के तहत 22 कंपनियों को 234 करोड़ रुपए का समर्थन दिया गया है, जिससे स्टार्टअप्स ने 380 करोड़ रुपए का वेंचर कैपिटल आकर्षित किया। भारत के 17 संस्थानों द्वारा 20 चिप्स का निर्माण इस क्षेत्र में बढ़ती क्षमता का प्रमाण है।

आर्थिक प्रभाव : विश्व बाजार में भारत की पहचान

भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचा है। 2030 तक इसके 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। वहीं वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 1 ट्रिलियन डॉलर का होगा, जिसमें भारत 10% हिस्सेदारी का लक्ष्य रखता है। पीएलआई योजना के तहत 1.76 लाख करोड़ रुपए से अधिक निवेश आकर्षित हुआ है, जिससे रोजगार और निर्यात दोनों को बढ़ावा मिला है।

भारत आज उस मुकाम पर खड़ा है, जहां हर चिप आत्मनिर्भर भारत की कहानी कहेगी और डिजिटल अर्थव्यवस्था में देश की चमक को विश्व मंच पर स्थापित करेगी।