एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का कड़ा संदेश : आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड नहीं

चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया। विशेषज्ञों ने भारत की इस दृढ़ नीति का समर्थन किया और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का कड़ा संदेश : आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड नहीं

चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा और साफ संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ाई में कोई दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है और सभी देशों को इस खतरे के खिलाफ एकजुट होना होगा।

प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य भारत की दृढ़ कूटनीतिक और रणनीतिक नीति को दर्शाता है। पी3 स्ट्रैटेजिक थिंक टैंक के संस्थापक और कूटनीतिक विशेषज्ञ शुभाशीष बनर्जी ने कहा कि भारत का रुख स्पष्ट है — आतंकवाद के खिलाफ कोई हिचक या समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि एससीओ शिखर सम्मेलन सुरक्षा, सहयोग और क्षेत्रीय विकास को मजबूत करने का महत्वपूर्ण अवसर है, लेकिन स्थिर आर्थिक माहौल की शुरुआत तभी होगी जब आतंकवाद का खात्मा होगा।

बनर्जी ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद को पनाह देने या उसे सही ठहराने की कोशिश करने वाले देशों को सीधे चुनौती दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यापार, सुरक्षा और समृद्धि तभी फल-फूल सकते हैं, जब आतंकवाद को समाप्त किया जाए। भारत ने एशिया, यूरोप और पूरी दुनिया से इस अभियान में हाथ मिलाने का आह्वान किया है।

सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ असहज स्थिति में नजर आए। एक मौके पर प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ गए। इस दौरान मोदी और पुतिन की आत्मीयता साफ झलक रही थी। मोदी ने पाकिस्तानी पीएम की मौजूदगी में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा भी की। सम्मेलन की घोषणा में कहा गया कि 22 अप्रैल 2025 को हुए इस हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया। मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों आतंकवाद के शिकार हैं और उन्हें मिलकर इससे निपटना होगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि पीएम ने अपनी बात स्पष्ट शब्दों में रखी और इस मामले में चीन का समर्थन मांगा।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में चीन की परियोजनाओं पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकी संगठन लगातार हमले करते रहे हैं। चीन बार-बार पाकिस्तान से अपने प्रोजेक्ट्स और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग करता रहा है। ऐसे में भारत और चीन का यह साझा रुख पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा सकता है।