विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने रूस के साथ भारत के ऊर्जा संबंधों का किया बचाव

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत रूस से ऊर्जा संबंध स्वतंत्र रूप से बनाए रखेगा। उन्होंने अमेरिकी टैरिफ की आलोचना करते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रीय और वैश्विक हितों के लिए तेल खरीद कीमतों को स्थिर कर रही है।

विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने रूस के साथ भारत के ऊर्जा संबंधों का किया बचाव

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत के अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने की तैयारी के बीच भारत रूस के साथ अपने ऊर्जा संबंधों को स्वतंत्र रूप से जारी रखेगा। राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत की तेल खरीद न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक हितों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं।

भारत की स्वतंत्र ऊर्जा नीति

जयशंकर ने कहा, “यह हास्यास्पद है कि कुछ लोग, जो अमेरिकी प्रशासन का समर्थन करते हैं, दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं। अगर किसी को भारत से तेल खरीदना पसंद नहीं है तो वह खरीदना बंद करे। भारत स्वतंत्र निर्णय लेने वाला देश है और ऐसा ही करता रहेगा।”

वैश्विक और राष्ट्रीय हित साधना

विदेश मंत्री ने बताया कि 2022 में जब वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ रही थीं, तब भी कहा गया था कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना चाहता है तो उसे रोकना उचित नहीं क्योंकि इससे तेल की कीमतें स्थिर होती हैं। उन्होंने दोहराया, "भारत तेल की कीमतों को स्थिर करने के लिए तेल खरीद रहा है, जो हमारे राष्ट्रीय और वैश्विक हित में है।"

अमेरिका से तेल खरीद में वृद्धि

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत अमेरिका से भी तेल की खरीद बढ़ा रहा है और इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार नहीं है, बल्कि चीन है, और एलएनजी का सबसे बड़ा खरीदार यूरोपीय संघ है।

रणनीतिक संबंधों का स्थायी भाव

विदेश मंत्री के अनुसार भारत और रूस के संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे स्थिर रहे हैं। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्र में सहयोग लगातार गहरा होता जा रहा है। भारत की यह पद्धति उसे वैश्विक व्यापार प्रतिबंधों और अस्थिरता से बचाने में मदद कर रही है।

यह बयान भारत के ऊर्जा सुरक्षा के प्रति संकल्प और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्वतंत्र निर्णय लेने की रणनीति को दर्शाता है, जो अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों के बीच भी भारत के लिए स्थिरता और विकास सुनिश्चित करता है।