कानपुर अलविदा 2024: राजनीति में दिखे नए रंग, भाजपा-सपा से नए चेहरे बने माननीय, तीन ऐसे मामले जिनकी रही चर्चा
साल 2024 कई राजनीतिक उलटफेर के लिए भी चर्चित रहा। कुछ बड़े नेताओं ने लंबे समय के बाद पार्टी बदली तो आपराधिक गतिविधि में शामिल होने की सजा के चलते एक विधायक की विधायकी चली गई। सीसामऊ विधानसभा जहां पहली बार उपचुनाव हुआ।

इरफान की गई विधायकी, नसीम पहली ही बार में बनीं विधायक
सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे इरफान सोलंकी ऐसे पहले विधायक हैं, जिनकी विधानसभा की सदस्यता निरस्त कर दी गई। इरफान के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने पर कोर्ट से सजा मिलने की वजह से ऐसा हुआ है। सदस्यता जाने के बाद सीसामऊ में हुए उपचुनाव में सोलंकी परिवार से पहली बार महिला के रूप में नसीम सोलंकी (इरफान की पत्नी) उतरीं और सारे समीकरणों को फेल करते हुए विधायक बन गईं। इस तरह से सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में लगातार सोलंकी परिवार का दबदबा बना हुआ है। सबसे पहले इरफान के पिता हाजी मुस्ताक सोलंकी विधायक बने थे।
अचानक से भाजपा में उभरे रमेश, पहली बार में ही बन गए सांसद
वरिष्ठ पत्रकार के रूप में लंबा कार्यकाल पूरा करने और आम पार्टी आयोजित कर पहचान बनाने वाले रमेश अवस्थी भी इस वर्ष चर्चा में रहे। वैसे तो भाजपा में उनकी सक्रियता 2014 से शुरू हो गई थी, जब उन्होंने बांदा से लोकसभा के लिए टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन महानगर सांसद के रूप में वह ऐसे पहले भाजपा नेता हैं, जो इससे पहले किसी भी चुनाव में नहीं उतरे थे। रमेश अवस्थी को उनकी सक्रियता के चलते केंद्र सरकार की दो कमेटियों काॅमर्स एंड इंडस्ट्री और पेट्रोलियम कमेटी में सदस्य की जिम्मेदारी भी दी गई है। महानगर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली पांच विधानसभा सीटों में तीन सपा के खाते में होने के बावजूद वह भाजपा से जीत हासिल करने में कामयाब हुए।
तीन बार कांग्रेस से विधायक रहे अजय कपूर ने थामा भगवा दामन
लंबे समय तक अटकलों के बाद कांग्रेस के बड़े नेता के रूप में चर्चित अजय कपूर इस वर्ष भाजपाई हो गए। उनका कांग्रेस में राजनीतिक जीवन करीब 35 वर्ष का रहा। सभासद से शुरुआत कर लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट से वह विधायक चुने गए। अजय कपूर कांग्रेसी नेता के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज कांग्रेसी श्रीप्रकाश जायसवाल को अक्सर टक्कर देते रहे हैं। वह कांग्रेस संगठन में जिले से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय पदाधिकारी भी रहे हैं। कई प्रदेशों में अलग-अलग समय में वह पार्टी की ओर से प्रभारी भी बनाए गए। जिस समय उन्होंने भाजपा का दामन थामा, उस समय भी वह बिहार के प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। करीब छह साल तक उन्होंने बिहार में कांग्रेस को आगे बढ़ाने की भूमिका निभाई।
शहर कांग्रेस को मिला नया नेता
दो बार केंद्रीय मंत्री और तीन बार के सांसद श्रीप्रकाश जायसवाल के बढ़ती उम्र के चलते सक्रिय राजनीति से अलग होने, अजय कपूर के भाजपा में जाने से महानगर में नेता विहीन हुई कांग्रेस को आलोक मिश्रा के रूप में नया नेता मिला। इस साल पहली बार पार्टी की ओर से लोकसभा टिकट पर प्रत्याशी बनाए गए आलोक ने चार लाख 22 हजार से अधिक वोट पाकर बाकी कांग्रेसियों को पीछे छोड़ दिया। संगठन स्तर पर भी वह राष्ट्रीय इकाई से प्रदेश इकाई तक कई पदों पर भी रहे हैं। उनकी पत्नी भी महापौर का चुनाव लड़ चुकी हैं। कांग्रेस में उनकी सक्रियता 1984 से बताई जाती है। इन सभी वजहों से वह पूरे वर्ष चर्चा में रहे हैं।
काकादेव के दो नामी शिक्षकों पर लगा दुष्कर्म का आरोप
काकादेव कोचिंग मंडी भी इस साल विवादों के घेरे में रही। एक नामी कोचिंग में जीव विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षक साहिल सिद्दीकी और रसायन विज्ञान पढ़ाने वाले विकास पोरवाल ने नीट की तैयारी कर रही एक छात्रा को ब्लैकमेल कर सात माह तक दुष्कर्म किया। पहले तो छात्रा सब कुछ सहती रही और फिर घर चली गई। करीब एक साल बाद पीड़ित छात्रा ने कल्याणपुर थाने में दोनों शिक्षकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी शिक्षकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। आरोपी साहिल सिद्दीकी पर पहले भी कोचिंग की एक छात्रा से अश्लील हरकत करने का आरोप लगा था तो काकादेव पुलिस ने उसे जेल भेजा था। तब शिक्षक की गिरफ्तारी को लेकर कोचिंग के छात्र-छात्राओं ने सड़क जाम कर हंगामा किया था।
रिमझिम इस्पात समूह पर पड़ा इस साल का सबसे बड़ा छापा
आयकर विभाग ने इस साल देश की दिग्गज इस्पात और स्टेनलेस स्टील निर्माता कंपनी रिमझिम इस्पात समूह पर बड़ी कार्रवाई की। कर चोरी के आरोप में समूह के सात राज्यों में स्थित 50 से ज्यादा प्रतिष्ठानों, इनसे जुड़े डीलरों कारोबारियों के यहां छापा मारा गया था। आयकर विभाग ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई का दावा किया था। 250 से ज्यादा अधिकारियों ने सात दिन तक जांच की थी। अधिकारियाें को कंपनी संचालकों के पास से आईफोन मिले थे। कंपनी संचालक इनके पासवर्ड नहीं बता रहे थे। छापे के दौरान अफसरों को 15 बोगस फर्मों का पता चला था। करीब 500 करोड़ की अघोषित आय की जानकारी हुई थी। 10 लॉकर भी मिले थे, तीन करोड़ की नकदी भी मिली थी।
पहली बार सीधी निगरानी के दायरे में आए पान मसाला और लोहा इकाइयां
एसजीएसटी विभाग ने पहली बार पानमसाला और लोहा कारोबार की सीधी निगरानी शुरू की। शहर की सभी प्रमुख पान मसाला और लोहा इकाइयों के बाहर विभाग के अफसरों की रोस्टर के अनुसार डयूटी लगाई गई। 24 घंटे तक इन इकाइयों से निकलने वाले वाहनों की जांच के निर्देश दिए गए थे। इस दौरान शत-प्रतिशत ई-वे बिल सत्यापन की भी जिम्मेदारी दी गई। 23 नवंबर से शुरू हुई जांच लगातार रोस्टर के अनुसार बढ़ाई जा रही है। अब दो जनवरी 2025 तक निगरानी के नए निर्देश दिए गए हैं। लगातार निगरानी से लोहा और पान मसाला कारोबार को तगड़ा झटका भी लग रहा है। बढ़ती निगरानी से सुपाड़ी, कत्था, लौंग, इलायची, मुलेठी, पिपरमेंट का कारोबार 90 प्रतिशत तक गिर गया है।