इलेक्टोरल बॉन्ड: बीजेपी, कांग्रेस छोड़िए, इनको भी मिला इतना चंदा की हैरान हो जाएंगे?
14 मार्च 2024 को चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया था. इस डेटा के सार्वजनिक होने के साथ ही पूरी दुनिया को पता चल चुका है कि किस कंपनी ने कितने बॉन्ड खरीदे और किस पार्टी को कितने रुपए का चंदा मिला है. चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं. एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल जानकारी मौजूद है. वेबसाइट के अनुसार 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं. बीजेपी के अलावा दो राष्ट्रीय दलों, कांग्रेस और आप ने इन 5 सालों में 1,421.86 करोड़ रुपये और 65.45 करोड़ रुपये जुटाए हैं. हालांकि कई ऐसे राष्ट्रीय पार्टियां भी है जिसे चुनावी बॉन्ड के जरिए एक भी रुपये का चंदा नहीं मिल पाया है. इन पार्टियों में बसपा, सीपीआई (एम) और एनपीपी शामिल है. ये तो हुई राष्ट्रीय दलों की बात लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की क्षेत्रीय पार्टियां भी चंदा के मामले में पीछे नहीं है. वेबसाइट पर साझा की गई जानकारी के अनुसार इन पांच सालों में स्थानीय पार्टियों को भी करोड़ों में चंदा मिला है. चुनाव आयोग से मिले डाटा के मुताबिक क्षेत्रीय दलों को अप्रैल 2019 और जनवरी 2024 के बीच चुनावी बांड के जरिये से 5,221 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिल चुका है. एक दिन में मिला करोड़ों रुपये चुनावी बॉन्ड मामले में निर्वाचन आयोग की वेबसाइट इस बात का भी खुलासा हुआ है कि साल 2019 से 2023 के बीच भारतीय जनता पार्टी को कुल आठ बार एक दिन में एक अरब रुपये या इससे भी ज्यादा चंदा मिला है. इन्ही वेबसाइट के अनुसार एक दिन में बीजेपी को मिलने वाला चुनावी चंदे का आंकड़ा दो सौ करोड़ रुपये तक का भी है. क्षेत्रीय पार्टियों में किसे मिला कितना चंदा जारी किए गए डेटा के अनुसार क्षेत्रीय पार्टियों में अकेले तृणमूल कांग्रेस ने 1,609.53 करोड़ रुपये का चंदा मिला है, और ये रुपये चुनावी बांड के जरिये धन प्राप्त करने वाले 22 क्षेत्रीय दलों के कुल चंदे का 30 प्रतिशत है. क्षेत्रीय पार्टियों को मिलने वाले चंदे की लिस्ट में दूसरे स्थान पर बीआरएस है. इस पार्टी को चुनावी बांड के जरिए 1,214.70 करोड़ रुपये मिले हैं. तीसरे स्थान पर बीजेडी का नाम है. इस पार्टी को 775.50 करोड़ का चंदा मिला है. इसके बाद डीएमके का नाम आता है जिसे इन पांच सालों में चुनावी बॉन्ड के जरिये 639 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. वहीं वाईएसआरसीपी ने 337 करोड़ रुपये, टीडीपी ने 218.88 करोड़ रुपये और शिवसेना ने 159.38 करोड़ रुपये जुटाए. आरजेडी ने चुनावी बांड के जरिये से 73.5 करोड़ रुपये, जेडी(एस) ने 43.40 करोड़ रुपये, सिक्किम क्रांतिकारी पार्टी ने 36.5 करोड़ रुपये, राकांपा ने 31 करोड़, जन सेना पार्टी ने 21 करोड़ रुपये, सपा ने 14.05 करोड़ रुपये, जदयू 14 करोड़ रुपये और जेएमएम को 13.5 करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले हैं. अकाली दल ने 7.2 करोड़ रुपये, एआईएडीएमके ने 6.05 करोड़ रुपये और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 5.5 करोड़ रुपये चंदा मिला है. इन पार्टियों को मिला एक करोड़ से कम का चंदा कुछ क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी भी है जिसे 1 करोड़ से कम का चंदा मिला है. इस लिस्ट में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस और गोवा फॉरवर्ड पार्टी शामिल है. 5 सालों में बेचे गए 16,518 करोड़ के चुनावी बॉन्ड एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2018 से जनवरी 2024 तक भारत में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बांड बेचे जा चुके हैं. वहीं चुनाव आयोग ने जो वर्तमान में आंकड़ा जारी किया है उसमें मार्च 2018 से 11 अप्रैल तक की अवधि शामिल नहीं है. इस नए डेटा में 2019 से 2024 के बीच की जानकारी साझा की गई है. बीजेपी को 1 करोड़ कीमत वाले मिले 5854 बॉन्ड मिले 13 मार्च 2024, एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार सर्वोच्च न्यायालय में एक एफिडेविट फाइल किया था. जिसमें कहा गया कि हमने चुनाव आयोग को दो फाइलें दी हैं. जिसमें से एक फाइल में बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों के डिटेल्स हैं इसके अलावा उसी फाइल में बॉन्ड को खरीदे जाने की तारीख और रकम का लिखी हुई है. वहीं दूसरी फाइल में चुनावी बॉन्ड को भुनाने वाले राजनीतिक दलों की जानकारी दी गई है. एसबीआई के अनुसार 1 अप्रैल से 11 अप्रैल, 2019 तक भारत में 3, 346 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए थे. जिसमें से 1 हजार 609 बॉन्ड को इनकैश कराया गया. वहीं 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच 22, 217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक 18,871 बॉन्ड को खरीदा गया. इनमें से अब तक 20 हजार 421 बॉन्ड इन कैश कराए जा चुके हैं. किसने-किसको चंदा दिया, यह पता नहीं चलता चुनाव आयोग के वेबसाइट पर जारी दो लिस्ट में चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियां और इन्हें इन कैश कराने वालों के नाम का डिटेल नहीं दिया गया है, जिससे ये पता नहीं चल पाया है कि किस कंपनी ने कितना पैसा किस पार्टी को दिया है. वहीं एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने इस पूरे मामले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एसबीआई ने उस यूनिक कोड को साझा नहीं किया है जिससे इस बात की जानकारी मिलती है कि किसने किसे चंदा दिया है. कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड के डेटा पर उठाए सवाल इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. पार्टी का कहना है कि डोनर और इसे लेने वालों के आंकड़े में अंतर है. पार्टी के अनुसार दानदाताओं में 18,871 एंट्री है, जबकि लेने वाली पार्टियों में 20,421 की एंट्री दर्ज है. कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया है कि जब इस योजना की शुरुआत साल 2017 से हुई थी तो इसमें अप्रैल 2019 से ही डाटा क्यों है? वहीं इस सवाल के जवाब में आयोग का कहना है कि उन्हें एसबीआई से इसी तरह की जानकारी मिली है.

14 मार्च 2024 को चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया था. इस डेटा के सार्वजनिक होने के साथ ही पूरी दुनिया को पता चल चुका है कि किस कंपनी ने कितने बॉन्ड खरीदे और किस पार्टी को कितने रुपए का चंदा मिला है. चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं. एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल जानकारी मौजूद है.
वेबसाइट के अनुसार 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं. बीजेपी के अलावा दो राष्ट्रीय दलों, कांग्रेस और आप ने इन 5 सालों में 1,421.86 करोड़ रुपये और 65.45 करोड़ रुपये जुटाए हैं. हालांकि कई ऐसे राष्ट्रीय पार्टियां भी है जिसे चुनावी बॉन्ड के जरिए एक भी रुपये का चंदा नहीं मिल पाया है. इन पार्टियों में बसपा, सीपीआई (एम) और एनपीपी शामिल है.
ये तो हुई राष्ट्रीय दलों की बात लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की क्षेत्रीय पार्टियां भी चंदा के मामले में पीछे नहीं है. वेबसाइट पर साझा की गई जानकारी के अनुसार इन पांच सालों में स्थानीय पार्टियों को भी करोड़ों में चंदा मिला है. चुनाव आयोग से मिले डाटा के मुताबिक क्षेत्रीय दलों को अप्रैल 2019 और जनवरी 2024 के बीच चुनावी बांड के जरिये से 5,221 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिल चुका है.
एक दिन में मिला करोड़ों रुपये
चुनावी बॉन्ड मामले में निर्वाचन आयोग की वेबसाइट इस बात का भी खुलासा हुआ है कि साल 2019 से 2023 के बीच भारतीय जनता पार्टी को कुल आठ बार एक दिन में एक अरब रुपये या इससे भी ज्यादा चंदा मिला है. इन्ही वेबसाइट के अनुसार एक दिन में बीजेपी को मिलने वाला चुनावी चंदे का आंकड़ा दो सौ करोड़ रुपये तक का भी है.
क्षेत्रीय पार्टियों में किसे मिला कितना चंदा
जारी किए गए डेटा के अनुसार क्षेत्रीय पार्टियों में अकेले तृणमूल कांग्रेस ने 1,609.53 करोड़ रुपये का चंदा मिला है, और ये रुपये चुनावी बांड के जरिये धन प्राप्त करने वाले 22 क्षेत्रीय दलों के कुल चंदे का 30 प्रतिशत है.
क्षेत्रीय पार्टियों को मिलने वाले चंदे की लिस्ट में दूसरे स्थान पर बीआरएस है. इस पार्टी को चुनावी बांड के जरिए 1,214.70 करोड़ रुपये मिले हैं.
तीसरे स्थान पर बीजेडी का नाम है. इस पार्टी को 775.50 करोड़ का चंदा मिला है. इसके बाद डीएमके का नाम आता है जिसे इन पांच सालों में चुनावी बॉन्ड के जरिये 639 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. वहीं वाईएसआरसीपी ने 337 करोड़ रुपये, टीडीपी ने 218.88 करोड़ रुपये और शिवसेना ने 159.38 करोड़ रुपये जुटाए.
आरजेडी ने चुनावी बांड के जरिये से 73.5 करोड़ रुपये, जेडी(एस) ने 43.40 करोड़ रुपये, सिक्किम क्रांतिकारी पार्टी ने 36.5 करोड़ रुपये, राकांपा ने 31 करोड़, जन सेना पार्टी ने 21 करोड़ रुपये, सपा ने 14.05 करोड़ रुपये, जदयू 14 करोड़ रुपये और जेएमएम को 13.5 करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले हैं.
अकाली दल ने 7.2 करोड़ रुपये, एआईएडीएमके ने 6.05 करोड़ रुपये और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 5.5 करोड़ रुपये चंदा मिला है.
इन पार्टियों को मिला एक करोड़ से कम का चंदा
कुछ क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी भी है जिसे 1 करोड़ से कम का चंदा मिला है. इस लिस्ट में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस और गोवा फॉरवर्ड पार्टी शामिल है.
5 सालों में बेचे गए 16,518 करोड़ के चुनावी बॉन्ड
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2018 से जनवरी 2024 तक भारत में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बांड बेचे जा चुके हैं. वहीं चुनाव आयोग ने जो वर्तमान में आंकड़ा जारी किया है उसमें मार्च 2018 से 11 अप्रैल तक की अवधि शामिल नहीं है. इस नए डेटा में 2019 से 2024 के बीच की जानकारी साझा की गई है.
बीजेपी को 1 करोड़ कीमत वाले मिले 5854 बॉन्ड मिले
13 मार्च 2024, एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार सर्वोच्च न्यायालय में एक एफिडेविट फाइल किया था. जिसमें कहा गया कि हमने चुनाव आयोग को दो फाइलें दी हैं.
जिसमें से एक फाइल में बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों के डिटेल्स हैं इसके अलावा उसी फाइल में बॉन्ड को खरीदे जाने की तारीख और रकम का लिखी हुई है. वहीं दूसरी फाइल में चुनावी बॉन्ड को भुनाने वाले राजनीतिक दलों की जानकारी दी गई है.
एसबीआई के अनुसार 1 अप्रैल से 11 अप्रैल, 2019 तक भारत में 3, 346 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए थे. जिसमें से 1 हजार 609 बॉन्ड को इनकैश कराया गया. वहीं 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच 22, 217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए और 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक 18,871 बॉन्ड को खरीदा गया. इनमें से अब तक 20 हजार 421 बॉन्ड इन कैश कराए जा चुके हैं.
किसने-किसको चंदा दिया, यह पता नहीं चलता
चुनाव आयोग के वेबसाइट पर जारी दो लिस्ट में चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियां और इन्हें इन कैश कराने वालों के नाम का डिटेल नहीं दिया गया है, जिससे ये पता नहीं चल पाया है कि किस कंपनी ने कितना पैसा किस पार्टी को दिया है.
वहीं एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने इस पूरे मामले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एसबीआई ने उस यूनिक कोड को साझा नहीं किया है जिससे इस बात की जानकारी मिलती है कि किसने किसे चंदा दिया है.
कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड के डेटा पर उठाए सवाल
इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. पार्टी का कहना है कि डोनर और इसे लेने वालों के आंकड़े में अंतर है. पार्टी के अनुसार दानदाताओं में 18,871 एंट्री है, जबकि लेने वाली पार्टियों में 20,421 की एंट्री दर्ज है. कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया है कि जब इस योजना की शुरुआत साल 2017 से हुई थी तो इसमें अप्रैल 2019 से ही डाटा क्यों है? वहीं इस सवाल के जवाब में आयोग का कहना है कि उन्हें एसबीआई से इसी तरह की जानकारी मिली है.
2019 के चुनाव से पहले बीजेपी को लगभग 4000 करोड़ का चंदा
चुनावी बॉन्ड को लेकर ही इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट छापी है, जिसमें बताया गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले भारतीय जनता पार्टी को 3,941 करोड़ रुपए का चंदा मिला था.
वहीं बीते रविवार चुनाव आयोग के तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, सत्तारूढ़ बीजेपी ने मार्च 2018 से मई, 2019 के बीच 3,941.57 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए थे.
यानी साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मिलने वाले 4000 करोड़ के चंदे का 77.4% यानी 3,050.11 करोड़ रुपये मार्च, अप्रैल और मई इन तीन महीनों में पार्टी को मिला. एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के शुरुआत से लेकर अब तक कम से कम 8,451.41 करोड़ रुपये भुनाए हैं.
इंडिया एक्सप्रेस की इसी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि बैंक की जिन-जिन शाखाओं से इलेक्टोरल बॉन्डस जारी किए गए है, उससे ये पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी को अलग अलग राज्यों से पैसा मिला, लेकिन जिन जगहों से सबसे ज्यादा पार्टी को चंदा मिला वो हैं- मुंबई (1,493.21 करोड़ रुपये), कोलकाता (1,068.91 करोड़ रुपये) और दिल्ली (666.08 करोड़ रुपये).
क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड
देश में होने वाले चुनाव से पहले अलग अलग पार्टियां जनता को लुभाने के लिए तमाम पोस्टर, होर्डिंग छपवाती हैं, रैली आयोजित करती हैं और इन सब कार्यक्रमों में बहुत सारा पैसा भी खर्च होता है. पार्टियों को ये पैसा चंदे से ही मिलता है. अब चंदा देने के कई अलग अलग तरीके हैं. जिसमें से सबसे आम तरीका है कि किसी कंपनी या व्यक्ति का पार्टी खाते में पैसा जमा करवा दे, या फिर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर कर दे. इसके अलावा एक और तरीका है जिसे चुनावी बॉन्ड या इलेक्टोरल बॉन्ड कहा जाता है.
बॉन्ड को एक तरह का नोट माना जा सकता है. किसी भी पार्टी को चंदा देने के इच्छुक व्यक्ति या कंपनी अलग-अलग दामों के बॉन्ड ले सकते हैं और अपनी पसंदीदा पार्टी को दे सकते हैं. अब बॉन्ड मिलने वाली पार्टी को 15 दिनों के भीतर उन बॉन्ड्स को इनकैश कराकर उस पैसे को अपने खाते में जमा करा लेने है.