शराब छोड़ने के बाद भी, शराब लीवर की पुन: उत्पन्न करने की क्षमता को ख़राब कर सकता है
अत्यधिक शराब के सेवन से लीवर की कोशिकाएं अपने कार्यशील और पुनर्जनन स्थिति के बीच फंस जाती हैं, जिससे लीवर की क्षति और शराब से संबंधित लीवर रोग में सुधार मुश्किल हो जाता है।

अत्यधिक शराब के सेवन से लीवर की अद्वितीय पुनर्जनन क्षमता बाधित हो सकती है, क्योंकि यह कोशिकाओं को उनके कार्यशील और पुनर्जनन स्थिति के बीच फंसा देता है। यह स्थिति तब भी बनी रहती है जब मरीज शराब पीना छोड़ देता है, ऐसा यू.आई. अर्बाना-शैंपेन और ड्यूक यूनिवर्सिटी तथा Chan Zuckerberg Biohub Chicago के शोधकर्ताओं ने हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में बताया।
शोध में पता चला कि यह मध्यवर्ती स्थिति सूजन (Inflammation) के कारण होती है, जो प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया में RNA के सही ढंग से splice न होने को प्रभावित करती है। लीवर को सामान्य स्थिति में क्षति या आंशिक निकासी के बाद स्वयं को पुनर्जीवित करने की अद्भुत क्षमता होती है। लेकिन शराब से जुड़ा लीवर रोग (Alcohol-associated liver disease) इस क्षमता को समाप्त कर देता है, जो विश्व में लीवर संबंधित मृत्यु का प्रमुख कारण है और हर साल लगभग 3 मिलियन लोगों की मौत का कारण बनता है।
यू.आई. के बायोकेमिस्ट्री प्रोफेसर औइनाश कालसोतरा और ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की प्रोफेसर अन्ना मे डाइल ने बताया कि शराब से प्रभावित लीवर की कोशिकाएं पुनर्जनन प्रक्रिया को पूरी तरह नहीं पूरा कर पातीं और एक अस्थायी स्थिति में फंस जाती हैं। ये कोशिकाएं न तो कार्यशील वयस्क कोशिकाएं होती हैं और न ही प्रजननशील प्रोजेनिटर कोशिकाएं। इसका परिणाम यह होता है कि बची हुई कोशिकाओं पर अधिक दबाव पड़ता है और लीवर फेल हो जाता है।
शोध टीम ने पाया कि इस समस्या का मुख्य कारण ESRP2 नामक प्रोटीन की कमी है, जो RNA को सही ढंग से splice करने में मदद करता है। शराब से प्रभावित लीवर कोशिकाओं में सूजन और वृद्धि कारक ESRP2 के उत्पादन और क्रियाशीलता को दबाते हैं। प्रयोगशाला में सूजन-रोधी अणु के साथ लीवर कोशिकाओं का उपचार करने पर ESRP2 स्तर लौट आया और RNA spliceिंग में सुधार हुआ।
इस शोध के परिणाम लीवर रोग के लिए नई उपचार संभावनाओं के मार्ग खोल सकते हैं। यदि RNA splice की गलती को सही किया जा सके, तो क्षतिग्रस्त लीवर की पुनर्प्राप्ति संभव हो सकती है।
इस अध्ययन में यू.आई. अर्बाना-शैंपेन, ड्यूक यूनिवर्सिटी, जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और Chan Zuckerberg Biohub के शोधकर्ताओं ने सहयोग किया। इस काम का समर्थन नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ, Chan-Zuckerberg Biohub Chicago, Duke Endowment और Muscular Dystrophy Association ने किया।