Aligarh: काम न आया कोई विरोध, नेतृत्व ने जताया विश्वास, सतीश गौतम को इसलिए थमाया टिकट

अलीगढ़ में मेयर की टिकट, जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद अब खुद की टिकट वापस लाकर सांसद सतीश गौतम ने संगठन में अपनी पकड़ का अहसास करा दिया। भाजपा संगठन ने एक बार फिर सतीश गौतम पर विश्वास जताया है।

Aligarh: काम न आया कोई विरोध, नेतृत्व ने जताया विश्वास, सतीश गौतम को इसलिए थमाया टिकट

अलीगढ़ में मेयर की टिकट, जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद अब खुद की टिकट वापस लाकर सांसद सतीश गौतम ने संगठन में अपनी पकड़ का अहसास करा दिया। भाजपा संगठन ने एक बार फिर सतीश गौतम पर विश्वास जताया है।

अलीगढ़ में मेयर की टिकट, जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद अब खुद की टिकट वापस लाकर सांसद सतीश गौतम ने संगठन में अपनी पकड़ का अहसास करा दिया। भाजपा संगठन ने एक बार फिर सतीश गौतम पर विश्वास जताया है। उनके खिलाफ कोई विरोध काम नहीं आया। हालांकि वे पहली सूची में टिकट होल्ड होने के बाद से अपने समर्थकों से यह कहते आ रहे थे कि चिंता नहीं करनी है। टिकट लेकर आएंगे और चुनाव लड़ेंगे।

सतीश गौतम मूल रूप से जिले की इगलास तहसील के गोंडा ब्लाक और हाथरस संसदीय क्षेत्र में आने वाले गांव दामोदर नगर पूर्व नाम सड़ा वे निवासी हैं। नोएडा में डेयरी उद्योग करते समय वे संघ व भाजपा से जुड़े और संगठन में काम करते रहे। इसी बीच 2014 में उन्होंने अलीगढ़ लोकसभा का टिकट मांगना शुरू किया। चूंकि यहां से शीला गौतम चार बार चुनाव जीतीं और बाद के दो चुनाव वे हारीं। इस पर वे विकल्प के रूप में सामने आए। कल्याण सिंह के आशीर्वाद से उन्हें पहली बार टिकट मिला।

ये रहे टिकट मिलने के प्रमुख कारण

    • सतीश गौतम की राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल, केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, संजीव बाल्यान व प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से करीबी।
    • दो बार के अनुभव के दौरान केंद्रीय नेतृत्व में पैंठ बनाना और लोकसभा में सक्रिय रहने का ठीकठाक फीडबैक ऊपर पहुंचना।
  • सामने इस आयु वर्ग में कोई स्थानीय मजबूत नाम दावेदारों की सूची में न होना, कुछ दावेदारों के पदों पर पहले से भी होना।
  • विरोध के मामले में जो मुद्दे उछाले गए, उनमें किसी का समर्थन या सहयोग करने के अलावा कोई अन्य आरोप नहीं।


काम न आए ये प्रयास

  • विरोध करने वालों के स्तर से सौ पेज से अधिक की बुक भेजी गई।
  • सांसद द्वारा जिन विवादित मुद्दों पर सहयोग किया, उन्हें शामिल किया।
  • सोशल मीडिया पर सांसद के खिलाफ लगातार कैंपेन भी जारी रहा।
  • संगठन में स्थानीय से लेकर प्रदेश व केंद्र तक एक खेमा विरोध में।

दूसरी बार में भी विरोध के बीच मिली थी टिकट 

पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद 2019 के चुनाव में खेमेबंदी के चलते कल्याण सिंह से उनकी नाराजगी हो गई। कल्याण सिंह ने उनके सामने अपने रिश्तेदार श्यौराज सिंह को इस चुनाव में दावेदार के तौर पर पेश किया। मगर कल्याण सिंह की नाराजगी, विरोध के बाद भी वे दूसरी बार टिकट लाने में सफल रहे। टिकट घोषणा के बाद वे काफी प्रयास के बाद कल्याण सिंह से उनके आवास पर मिले। उनसे नाराजगी दूर की और आशीर्वाद लिया।

तीसरे प्रयास में फिर हुआ विरोध
2024 के लिए तीसरे चुनाव में जब टिकट की दावेदारी शुरू हुई तो फिर विरोध कैंपेन शुरू हुआ। सोशल मीडिया से लेकर संगठन में अंदरखाने विरोध के स्वर जबरदस्त रहे। उनसे जुड़े अनगिनत मुद्दों की सूची तैयार कर संगठन में पहुंचाई गई। जिसमें जिले के खैर, टप्पल से लेकर शहर व कोल तक के विवाद शामिल रहे। इस बार दावेदारों की सूची भी बेहद लंबी रही। मगर कोई विरोध काम नहीं आया और संगठन ने तमाम जद्दोजहद के बाद सतीश गौतम पर विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट दिया है।

विद्या नगर में मना जश्न, आज मनेगी भगवा होली
सांसद के विद्या नगर स्थित आवास कैंप कार्यालय पर रात नौ बजे टिकट की घोषणा के बाद ही समर्थकों का जुटना शुरू हो गया। इस दौरान आतिशबाजी के बीच मिठाई बांटी गई और जश्न मनाया गया। हालांकि, सांसद सतीश गौतम दिल्ली में हैं और वे सोमवार दोपहर यहां पहुंचेंगे। तब यहां होली मनाई जाएगी। इस मौके पर जिलाध्यक्ष कृष्णपाल सिंह लाला, चंद्रमणि कौशिक, शिवनारायण शर्मा, युवा मोर्चा महानगर अध्यक्ष अमन गुप्ता, प्रतीक चौहान, मनोज अग्रवाल, मीनेश भारद्वाज, संदीप चाणक्य, मनोज गौतम, ऋषभ गर्ग, मोनू अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
संगठन केंद्रीय नेतृत्व, प्रदेश नेतृत्व, जिला-महानगर संगठन के प्रयास और एक-एक कार्यकर्ता के आशीर्वाद से टिकट मिला है। इसके लिए मैं सभी का आभारी हूं। जैसे दस साल में सेवा की है और आगे भी करूंगा। विरोध पर किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं करनी है।-सतीश गौतम, सांसद

23 मार्च को हुई थी बैठक, 24 मार्च को  मंथन के बाद घोषणा
भाजपा केंद्रीय कार्य समिति की बैठक 23 मार्च को ही दिल्ली में हो गई थी। इसके बाद सुबह टिकट होने की उम्मीद थी। मगर 24 मार्च दोपहर में फिर मंथन हुआ। इसके बाद अफवाहों का दौर शुरू हो गया। मगर देर रात अचानक टिकट घोषणा हो गई। इसे लेकर चर्चाएं थीं कि मेरठ, अलीगढ़, गाजियाबाद आदि सीटों पर फंसा होने के कारण देरी हुई।