सेब के दाम गिरे, बागवान सरकार से मदद की गुहार लगाने को मजबूर

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से जूझ रहे बागवानों पर अब सेब के गिरते दामों ने संकट खड़ा कर दिया है। मंडियों में दलालों की मिलीभगत से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सेब के दाम गिरे, बागवान सरकार से मदद की गुहार लगाने को मजबूर

हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों पर संकट गहराता जा रहा है। पहले तो लगातार हो रही भारी बारिश ने फसलों और बागानों को नुकसान पहुंचाया, और अब सेब के औंधे मुँह गिरे दामों ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

मंडी में बागवानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। फिलहाल एक पेटी सेब केवल 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक बिक रही है। इसमें भी लागत निकालना बागवानों के लिए असंभव साबित हो रहा है। जहाँ 500 रुपये की पेटी पर करीब 400 रुपये का सीधा घाटा हो रहा है, वहीं 1500 रुपये वाली पेटी पर भी उन्हें खास लाभ नहीं मिल पा रहा।

बागवानों का आरोप है कि मंडियों में लदानियों और आड़तियों की मिलीभगत से कृत्रिम रूप से दाम गिराए जा रहे हैं। पराला से लेकर पिंजौर तक सक्रिय यह गिरोह बागवानों को मनमाने दामों पर मजबूर कर रहा है। इस कारण अच्छी पैदावार के बावजूद किसानों की उम्मीदें टूट रही हैं।

कई बागवानों का कहना है कि इस साल की मेहनत पूरी तरह बेकार होती दिख रही है और वे "खून के आँसू" रोने को मजबूर हैं। उनका मानना है कि अगर सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए तो सेब उत्पादन का व्यवसाय बड़े संकट में फँस सकता है।

बागवानों ने मांग की है कि सरकार मंडियों में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त व्यवस्था करे और दलालों की मिलीभगत को खत्म करने के लिए तत्काल कार्रवाई करे, ताकि बागवानी को बचाया जा सके और किसानों को उनका हक मिल सके।