मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना: 75 लाख महिलाओं को मिलेगी पहली किस्त

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 75 लाख महिलाओं को 10-10 हजार रुपए की पहली किस्त डीबीटी के जरिए मिलेगी।

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना: 75 लाख महिलाओं को मिलेगी पहली किस्त

बिहार की राजनीति और समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण को नया आयाम देने के लिए राज्य सरकार ने ऐतिहासिक पहल की है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना राज्य की महिलाओं के लिए बड़ा कदम है।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 75 लाख महिलाओं के बैंक खाते में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से 10-10 हजार रुपए की पहली किस्त भेजी जाएगी। कुल 7,500 करोड़ रुपए की यह राशि महिलाओं के सपनों को नई उड़ान देगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान करेगी।

रोजगार और आत्मनिर्भरता की राह

सम्राट चौधरी ने स्पष्ट किया कि योजना के अंतर्गत हर परिवार की एक महिला को रोजगार शुरू करने के लिए सहयोग मिलेगा। शुरुआत में 10,000 रुपए की पहली किस्त दी जा रही है और काम शुरू करने के बाद जरूरत पड़ने पर 2 लाख रुपए तक की अतिरिक्त सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह केवल राशि का वितरण नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके परिवार की आय में वृद्धि करने का सशक्त माध्यम है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से व्यापक भागीदारी

उन्होंने बताया कि अब तक ग्रामीण क्षेत्रों की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 1 करोड़ 10 लाख महिलाओं ने आवेदन किया है। वहीं शहरी क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में महिलाएं आगे आई हैं। यह दिखाता है कि महिलाओं में आत्मनिर्भर बनने की इच्छा कितनी प्रबल है।

बिहार सरकार की महिला सशक्तिकरण की पहल

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है।

  • 2005 में पंचायत और नगर निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।

  • साइकिल योजना, पोशाक योजना, छात्रवृत्ति योजना, पेंशन योजना और महिला उद्यमी योजना जैसी पहलें की गईं।

  • सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया।

आत्मनिर्भर बिहार का सपना

सम्राट चौधरी ने कहा कि महिला रोजगार योजना महिलाओं के सपनों को पंख देगी। उन्होंने विश्वास जताया कि इन योजनाओं से न केवल पलायन रुकेगा बल्कि बिहार आत्मनिर्भर बनेगा। गांव और शहर दोनों जगह सशक्त महिलाएं ही समृद्ध बिहार के निर्माण की आधारशिला होंगी।