छत्तीसगढ़ दौरे पर पीएम मोदी ने की ‘दिल की बात’ और ‘शांति शिखर’ का उद्घाटन

छत्तीसगढ़ दौरे पर पीएम मोदी ने नवा रायपुर में ‘दिल की बात’ कार्यक्रम में बच्चों से मुलाकात की और ब्रह्माकुमारी के ‘शांति शिखर’ का उद्घाटन किया।

छत्तीसगढ़ दौरे पर पीएम मोदी ने की ‘दिल की बात’ और ‘शांति शिखर’ का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने छत्तीसगढ़ दौरे की शुरुआत नवा रायपुर अटल नगर स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल से की। यहां उन्होंने ‘दिल की बात’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसमें उन बच्चों को आमंत्रित किया गया था जिन्होंने दिल की बीमारियों से जूझकर सफल उपचार प्राप्त किया।

अस्पताल में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले भगवान श्री सत्य साईं बाबा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने बच्चों और उनके परिवारों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “हर वह बच्चा जो नई जिंदगी लेकर यहां से जा रहा है, वह भारत की नई उम्मीद का प्रतीक है।

श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल ने अब तक 2500 से अधिक बच्चों का नि:शुल्क सफल इलाज किया है। इस उपलब्धि की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “यह अस्पताल सेवा, समर्पण और करुणा का जीता-जागता उदाहरण है। यह देखकर गर्व होता है कि भारत में आज स्वास्थ्य सेवा केवल इलाज नहीं बल्कि जीवन को नई दिशा देने का माध्यम बन रही है।”

बच्चों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कई बच्चों से उनके अनुभव पूछे। बच्चों ने प्रधानमंत्री को बताया कि कैसे ऑपरेशन के बाद उनकी जिंदगी सामान्य हुई है और अब वे स्कूल जा पा रहे हैं। बच्चों की उत्सुकता देखकर प्रधानमंत्री भी भावुक हो उठे। उन्होंने कहा, “इन बच्चों की मुस्कान ही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।”

अस्पताल कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवा रायपुर में ब्रह्माकुमारी संस्था के ‘शांति शिखर’ का उद्घाटन किया। यह एक आध्यात्मिक शिक्षा, शांति और ध्यान का आधुनिक केंद्र है, जो समाज में सकारात्मकता और आत्मविकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, “आज का दिन बहुत विशेष है। आज छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही झारखंड और उत्तराखंड भी अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं। मैं सभी राज्यों के निवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।”

उन्होंने कहा कि भारत के विकास की यात्रा में हर राज्य की भूमिका अहम है। “राज्य के विकास से देश का विकास” इस मंत्र पर चलते हुए, हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अभियान में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी जैसी संस्थाएं समाज में नैतिकता, सद्भाव और आत्मबल को मजबूत करने का कार्य कर रही हैं।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में ब्रह्माकुमारी संस्था से अपने लंबे जुड़ाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा,
“मैंने इस आध्यात्मिक आंदोलन को वटवृक्ष की तरह बढ़ते देखा है। 2011 में अहमदाबाद के ‘फ्यूचर ऑफ पावर’ कार्यक्रम से लेकर 2012 में 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर और 2013 में प्रयागराज के आयोजन तक—हर बार इस संस्था का सकारात्मक प्रभाव देखा है।”

उन्होंने बताया कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी ब्रह्माकुमारी संस्था की सक्रिय भागीदारी रही है। “जब भी मैं यहां आया हूं, मैंने इनके प्रयासों को सच्ची निष्ठा से देखा है। ये देश के नैतिक और आध्यात्मिक विकास में मौन लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।”

अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि “विकास केवल भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक भी होना चाहिए। जब मन शांत और सशक्त होता है, तो समाज भी सशक्त बनता है।” उन्होंने कहा कि शांति और सेवा का मार्ग ही भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत आज स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है, लेकिन उसके साथ हमें मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों को भी उतना ही महत्व देना चाहिए।

नवा रायपुर में प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर लोगों में भारी उत्साह था। सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग ‘शांति शिखर’ स्थल पर एकत्र हुए थे। प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों और बच्चों ने प्रधानमंत्री से मिलने के लिए विशेष तैयारियां की थीं। ‘दिल की बात’ कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने बच्चों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा छत्तीसगढ़ के लिए बेहद खास रहा। एक ओर उन्होंने ‘दिल की बात’ कार्यक्रम के जरिए बच्चों के दिलों को छुआ, वहीं दूसरी ओर ‘शांति शिखर’ का उद्घाटन कर समाज को आत्मिक ऊर्जा देने का संदेश दिया। उनके शब्दों में—“विकास का असली अर्थ केवल सड़कें और इमारतें बनाना नहीं, बल्कि मजबूत मन, स्वस्थ शरीर और शांत आत्मा का निर्माण करना है।”