त्वचा खींचने से बढ़ती है वैक्सीन की प्रभावशीलता : शोधकर्ताओं की नई खोज

शोधकर्ताओं ने पाया कि त्वचा को खींचने से इम्यून कोशिकाएं सक्रिय होती हैं और बड़ी अणुओं, यहां तक कि वैक्सीन, को भी बेहतर तरीके से अवशोषित करती है। यह तरीका सुई के बिना वैक्सीन देने में कारगर साबित हो सकता है।

त्वचा खींचने से बढ़ती है वैक्सीन की प्रभावशीलता : शोधकर्ताओं की नई खोज

वैज्ञानिकों ने एक नई खोज में बताया है कि त्वचा को खींचने (Skin Stretching) से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) सक्रिय हो जाती है और त्वचा बड़ी अणुओं को, जिनमें वैक्सीन भी शामिल है, आसानी से अवशोषित कर सकती है। Cell Reports पत्रिका में 17 सितम्बर को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यदि वैक्सीन को त्वचा पर लगाते समय उसे खींचा जाए तो यह तरीका चूहों में पारंपरिक इंजेक्शन की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हुआ।

फ्रांस के INSERM से वरिष्ठ शोधकर्ता और इम्यूनोलॉजिस्ट एलोडी सेगुरा का कहना है कि "त्वचा पर क्या लगाया जाता है, इस पर सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह तरीका जहां वैक्सीन की डिलीवरी में मदद कर सकता है, वहीं यह हानिकारक यौगिकों के प्रवेश या एलर्जी भी बढ़ा सकता है।"

त्वचा खिंचाव और इम्यून प्रतिक्रिया

सामान्यत: त्वचा के रिसेप्टर्स चोट लगने पर इम्यून सिस्टम को सक्रिय करते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं ने यह जांचना चाहा कि बिना चोट के केवल खिंचाव से भी क्या इम्यून प्रतिक्रिया होती है। इसके लिए एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल किया गया जो सक्शन प्रेशर से त्वचा को खींचता है।

20 मिनट तक इस डिवाइस के प्रयोग से चूहों और इंसानों दोनों की त्वचा में बड़े अणुओं को गुजरने की क्षमता बढ़ गई। इसका कारण था कोलेजन फाइबर का पुनर्गठन और बाल कूपों (Hair Follicles) का खुलना। हालांकि 15 मिनट बाद त्वचा फिर से सामान्य स्थिति में आ गई।

इम्यून कोशिकाओं की संख्या बढ़ी

शोध में पाया गया कि त्वचा खिंचने से स्थानीय इम्यून प्रतिक्रिया भी सक्रिय होती है। चूहों में 24 घंटे बाद इम्यून कोशिकाओं की संख्या बढ़ी और 1000 से ज्यादा जीनों की गतिविधि में बदलाव देखा गया। इनमें कई जीन साइटोकाइन्स जैसे इम्यून सिग्नलिंग मॉलिक्यूल्स से जुड़े थे।

सेगुरा ने कहा, "सिर्फ त्वचा खींचने से इतनी बड़ी मात्रा में इन्फ्लेमेटरी मॉलिक्यूल्स का उत्पादन देखना हमारे लिए चौंकाने वाला था।"

बिना सुई वाली वैक्सीन डिलीवरी

वैज्ञानिकों ने चूहों पर फ्लू वैक्सीन की एक टॉपिकल लोशन तैयार कर उसे त्वचा खींचने वाले डिवाइस के साथ मिलाकर लगाया। इसके नतीजे में वैक्सीन धीरे-धीरे रक्तप्रवाह में गई और पास के लसिका ग्रंथियों (Lymph Nodes) में जमा हुईं, जहां से इम्यून प्रतिक्रिया शुरू हुई।

यह तरीका पारंपरिक इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन से बेहतर साबित हुआ और एंटीबॉडी स्तर ज्यादा पाए गए। यहां तक कि जब वैक्सीन में एडजुवेंट मिलाया गया, तब भी इम्यून प्रतिक्रिया पर कोई अतिरिक्त असर नहीं पड़ा।

भविष्य की संभावनाएं

किंग्स कॉलेज लंदन के वरिष्ठ शोधकर्ता स्टुअर्ट जोन्स ने कहा, "सिर्फ त्वचा खींचने से वैक्सीन इंजेक्शन से ज्यादा असरदार साबित हुई। यह तरीका भविष्य में वैक्सीन डिलीवरी, सेल थेरेपी और डायग्नोस्टिक्स तक के लिए इस्तेमाल हो सकता है।"

हालांकि यह अध्ययन मुख्यतः चूहों पर किया गया है, इसलिए मनुष्यों पर इसके असर को लेकर और शोध की आवश्यकता है। शोधकर्ता यह भी देखना चाहते हैं कि कहीं यह प्रक्रिया अनचाही एलर्जी या इम्यून प्रतिक्रिया को तो नहीं बढ़ाती।

जोन्स ने कहा, "मानव त्वचा सामान्यत: चूहों की त्वचा से कम पारगम्य होती है, लेकिन इस प्रयोग में अणु बाल कूपों के रास्ते गए, इसलिए परिणाम समान मिले। हमें विश्वास है कि यह तकनीक मनुष्यों में भी कारगर साबित हो सकती है।"