सागर- बुंदेलखंड अंचल में आनोखे तरीके मनाई जाती है होली।
होली का त्यौहार यू तो सारे भारतवर्ष मैं धूम धाम से मनाया जाता है पर देश के बुंदेलखंड अंचल मैं इसको मनाने का अंदाज ही जुदा होता है -बुंदेलखंड के बासिन्दे होली की मस्ती मैं पुरे महीने भर सराबोर रहते हैं l

होली का त्यौहार यू तो सारे भारतवर्ष मैं धूम धाम से मनाया जाता है पर देश के बुंदेलखंड अंचल मैं इसको मनाने का अंदाज ही जुदा होता है -बुंदेलखंड के बासिन्दे होली की मस्ती मैं पुरे महीने भर सराबोर रहते हैं l फाल्गुन महीने की चतुर्दशी को होलिका दहन के बाद शुरू होता है होली का पर्व जो बुंदेलखंड मैं पुरे एक माह तक चलता है होली के दिन क्या गाँव क्या शहर सभी के निवासी मस्ती मैं डूब जाते हैं मस्ती से भरे लोकगीतों को गाने वाले गली मोहल्ले मैं घूम घूम कर फाग के गीत गाते हैं l
देशी ढोल मंजीरों नगड़िया की थाप पर रंग गुलाल से सराबोर लोगो की टोलियां जब गायन वादन करते है वो समा देखने लायक होता है इनके इस लोक गायन में सामाजिक संदेश देते हुए लोकगीत धार्मिक कथाओं कहानियों का समावेश होता है खास होती है अनरय की होली होली का यह पर्व खुशिओ के पर्व के रूप मैं मनाये जाने का चलन है l
इस समय किसानो की फसलें आ जाती हैं और वह खुश होकर दोगुने उत्साह से इसे मानते हैं -साथ ही दुःख दर्द से परेशां रहने वालो को भी यहाँ की परंपरा मैं खुश करने के उपाय के तोर पर भी इस त्यौहार को देखा जाता है इस अवसर पर जिसके घर मैं किसी का देहांत हो जाता है और वह परिवार ग़मगीन रहता है तो ऐसे परिवारों के दुखो को कम करने के लिए लोग उसके घर होली गायन करने वाली टोली के साथ मै जाते हैं और उनको गीत सुनाकर उन्हें गम के माहौल से उबारने का प्रयास करते हैं उन्हें गुलाल लगाते है और यह शुभ शगुन माना जाता है इस फाग के बाद उन घरों में फिर से शादी ब्याह जैसे शुभ कार्य पुनः प्रारंभ हो जाते है। होली के उमंग और उत्साह से भरे परे पर्व के बारे में लोक गायक बताते हैं की यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और लोगो में पनपे आपसी बैर भाव दुश्मनी को को भुलाने वाला पर्व है यह नाच गायन इस संस्कृति में सदियों से रचा बसा है यह भक्त प्रहलाद के होलिका की गोद से दहन के पश्चात सकुशल बचने की खुशी में मनाया जाता है।