Chhattisgarh High Court: मां-बेटे के रिश्ते पर लगाया कलंक, पत्नी के आरोपों पर बोला छत्तीसगढ़ HC, जानें क्या है पूरा मामला
Chhattisgarh HC: तलाक के एक मामले पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी की तरफ से लगाए गए आरोपों को लेकर कहा कि यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है. पत्नी ने पति और अपनी सास के रिश्ते को लेकर गंभीर आरोप लगाए. कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोप लगाकर महिला ने सास के चरित्र की हत्या की है और इसे यह कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसने उकसावे में यह बात कह दी. जस्टिस गौतम भादुरी और संजय अग्रवाल की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के साल 2020 के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता पति को तलाक के लिए अनुमति नहीं दी गई. कोर्ट ने क्या की टिप्पणी?महिला ने अपने पति और सास के रिश्ते के अलावा ससुर पर भी आरोप लगाया कि वह उस पर बुरी नजर रखते हैं. इन आरोपों को लेकर कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोप लगाकार महिला ने अपनी सास के चरित्र और मां-बेटे के पवित्र रिश्ते को कलंकित किया है और इसको सिर्फ यह कहकर नजरअंदाज नहीं कर सकते कि उकसावे में उसने ऐसा कह दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के आरोप पति-पत्नी की एक-दूसरे की नजरों में इज्जत और मान खत्म कर देते हैं. अगर मां-बेटे के पवित्र रिश्ते पर इस तरह से हमला किया जाता है तो यह मानसिक क्रूरता का कारण बनता है. याचिकाकर्ता का दावा- शादी के बाद से ही गलत था व्यवहारयाचिकाकर्ता ने बताया कि 5 नवंबर, 2011 को शादी के बाद दंपति पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में शिफ्ट हो गया. शादी के बाद से ही पत्नी का व्यवहार ठीक नहीं था और पति एवं ससुराल वालों पर चिल्लाना, खाना नहीं बनाना जैसी हरकतें करती थी. वह कई बार याचिकाकर्ता को झूठे केस में फंसाने की धमकी भी देती थी. दिसंबर, 2013 में जब याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ के भाटपारा में अपने माता-पिता के पास गया तो महिला ससुराल में बस दो दिन रुककर भिलाई में अपने मायके चली गई और तब से वापस नहीं लौटी. हालांकि, पत्नी ने सभी आरोपों को झूठा बताया और कहा कि जब से वह काम कर रही है पूरी सैलरी उसका पति और ससुरालवाले ले लेते हैं. उसका यह भी कहना है कि जब उसने पति से बच्चे की इच्छा जताई तो यह कहकर इनकार कर दिया गया कि कहीं बेटी पैदा न हो जाए. पत्नी का आरोपों से इनकारमहिला का कहना है कि वह अपने घर इसलिए गई क्योंकि बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर पति ने उसे ले जाने से इनकार कर दिया और वहीं छोड़कर चले गए. सबूतों और रिकॉर्ड के आधार पर कोर्ट ने पति को तलाक की इजाजत दे दी और साथ ही पत्नी को हर महीने 35 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का भी आदेश दिया. यह भी पढ़ें:Manipur Violence: 'लाल किले से प्रधानमंत्री ने लोगों को गुमराह किया', मणिपुर हिंसा का जिक्र कर बोले कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई
Chhattisgarh HC: तलाक के एक मामले पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी की तरफ से लगाए गए आरोपों को लेकर कहा कि यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है. पत्नी ने पति और अपनी सास के रिश्ते को लेकर गंभीर आरोप लगाए. कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोप लगाकर महिला ने सास के चरित्र की हत्या की है और इसे यह कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसने उकसावे में यह बात कह दी.
जस्टिस गौतम भादुरी और संजय अग्रवाल की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के साल 2020 के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता पति को तलाक के लिए अनुमति नहीं दी गई.
कोर्ट ने क्या की टिप्पणी?
महिला ने अपने पति और सास के रिश्ते के अलावा ससुर पर भी आरोप लगाया कि वह उस पर बुरी नजर रखते हैं. इन आरोपों को लेकर कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोप लगाकार महिला ने अपनी सास के चरित्र और मां-बेटे के पवित्र रिश्ते को कलंकित किया है और इसको सिर्फ यह कहकर नजरअंदाज नहीं कर सकते कि उकसावे में उसने ऐसा कह दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के आरोप पति-पत्नी की एक-दूसरे की नजरों में इज्जत और मान खत्म कर देते हैं. अगर मां-बेटे के पवित्र रिश्ते पर इस तरह से हमला किया जाता है तो यह मानसिक क्रूरता का कारण बनता है.
याचिकाकर्ता का दावा- शादी के बाद से ही गलत था व्यवहार
याचिकाकर्ता ने बताया कि 5 नवंबर, 2011 को शादी के बाद दंपति पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में शिफ्ट हो गया. शादी के बाद से ही पत्नी का व्यवहार ठीक नहीं था और पति एवं ससुराल वालों पर चिल्लाना, खाना नहीं बनाना जैसी हरकतें करती थी. वह कई बार याचिकाकर्ता को झूठे केस में फंसाने की धमकी भी देती थी. दिसंबर, 2013 में जब याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ के भाटपारा में अपने माता-पिता के पास गया तो महिला ससुराल में बस दो दिन रुककर भिलाई में अपने मायके चली गई और तब से वापस नहीं लौटी. हालांकि, पत्नी ने सभी आरोपों को झूठा बताया और कहा कि जब से वह काम कर रही है पूरी सैलरी उसका पति और ससुरालवाले ले लेते हैं. उसका यह भी कहना है कि जब उसने पति से बच्चे की इच्छा जताई तो यह कहकर इनकार कर दिया गया कि कहीं बेटी पैदा न हो जाए.
पत्नी का आरोपों से इनकार
महिला का कहना है कि वह अपने घर इसलिए गई क्योंकि बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर पति ने उसे ले जाने से इनकार कर दिया और वहीं छोड़कर चले गए. सबूतों और रिकॉर्ड के आधार पर कोर्ट ने पति को तलाक की इजाजत दे दी और साथ ही पत्नी को हर महीने 35 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का भी आदेश दिया.