सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को गति, मेला अधिकारी आशीष सिंह की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक संपन्न
सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह की अध्यक्षता में सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में उज्जैन सहित कई जिलों के धार्मिक स्थलों के विकास कार्यों की अनुशंसा की गई और समयसीमा में गुणवत्तापूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए।
सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को लेकर शुक्रवार दोपहर सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह की अध्यक्षता में सिंहस्थ मेला कार्यालय के सभागृह में पर्यवेक्षण समिति की षष्ठम बैठक आयोजित की गई। बैठक में आगामी सिंहस्थ के नवीन प्रस्तावित कार्यों पर चर्चा कर उन्हें पर्यवेक्षण समिति के समक्ष अनुशंसा के लिए प्रस्तुत किया गया।
बैठक में कलेक्टर रौशन कुमार सिंह, नगर निगम आयुक्त अभिलाष मिश्रा, जिला पंचायत सीईओ श्रेयांस कूमट, यूडीए सीईओ संदीप सोनी, स्मार्ट सिटी सीईओ संदीप शिवा, ज्वाइंट कलेक्टर संदीप सिंह सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार मेला अधिकारी और कलेक्टर ने सिंहस्थ आयोजन के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ 2028 के लिए सभी आवश्यक विकास कार्यों की कार्ययोजना शीघ्र तैयार कर शासन के समक्ष प्रस्तुत की जाए।
सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी प्रगतिरत कार्यों को निर्धारित समयसीमा में गुणवत्तापूर्ण और मापदंडों के अनुसार पूरा किया जाए।
बैठक में उज्जैन जिले के अंतर्गत कई धार्मिक स्थलों के विकास और जीर्णोद्धार कार्यों की अनुशंसा की गई, जिनमें प्रमुख हैं —
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हरसिद्धि मंदिर और भूखी माता मंदिर का एकीकृत विकास
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शनि मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण
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नारायण धाम, सांदीपनि आश्रम, सिद्धवट घाट, गढ़कालिका मंदिर, चिंतामण गणेश मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, 84 महादेव मंदिर श्रृंखला और कालभैरव मंदिर परिसर का उन्नयन कार्य
इसके साथ ही अन्य जिलों के धार्मिक स्थलों को भी योजना में शामिल किया गया —
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खंडवा जिले में श्री ओंकारेश्वर मंदिर परिसर का विकास कार्य
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खरगोन जिले में महेश्वर स्थित जालेश्वर महादेव, कालेश्वर महादेव और चिंतामणि गणेश मंदिर के विकास कार्य
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देवास जिले में देवी लोक निर्माण कार्य
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नीमच जिले में श्री भादवा माता मंदिर परिसर का विकास कार्य
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाएं ताकि सिंहस्थ 2028 के आयोजन तक सभी प्रमुख परियोजनाएं पूरी हो सकें।
सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने कहा कि “सिंहस्थ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है। इसलिए प्रत्येक कार्य उच्च गुणवत्ता और समर्पण के साथ पूरा किया जाएगा।”