प्रयागराज में MSME सम्मेलन ने लोकल फॉर वोकल विजन को दी नई दिशा

प्रयागराज में MSME मंत्रालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय सम्मेलन में पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने अधिकारियों को बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और जीआई टैग की जानकारी दी, जिससे लोकल उत्पादों को वैश्विक पहचान मिले।

प्रयागराज में MSME सम्मेलन ने लोकल फॉर वोकल विजन को दी नई दिशा
प्रयागराज में MSME सम्मेलन

प्रयागराज में MSME सम्मेलन ने ‘लोकल फॉर वोकल’ मिशन को दी नई ऊर्जा

प्रयागराज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लोकल फॉर वोकल’ विजन को मजबूत बनाने के उद्देश्य से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय के आगरा कार्यालय द्वारा पांच दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन 6 से 10 अक्टूबर 2025 तक चला, जिसमें देशभर से आए MSME अधिकारियों ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था—अधिकारियों को बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights - IPR) और जीआई टैग की जानकारी देकर उन्हें स्थानीय उत्पादों के संवर्धन में सक्षम बनाना।

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और जीआई टैग पर विशेष सत्र

सम्मेलन में पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बौद्धिक संपदा अधिकार और Geographical Indication (GI) Tag पर विशेष प्रशिक्षण सत्र का नेतृत्व किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि जीआई पंजीकरण कराने की प्रक्रिया क्या है, इसके लाभ क्या हैं और यह MSME सेक्टर के लिए कैसे परिवर्तनकारी साबित हो सकता है।

डॉ. रजनीकांत ने कहा कि — “यदि हम अपने स्थानीय उत्पादों को जीआई टैग के माध्यम से पहचान दिलाते हैं, तो उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विशिष्ट स्थान मिलता है।” उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि बनारसी साड़ी, कांचीपुरम सिल्क और लखनऊ की चिकनकारी जैसे उत्पादों को जीआई टैग मिलने के बाद उनकी वैश्विक पहचान और मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

MSME अधिकारियों को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम

इस सम्मेलन का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि MSME अधिकारियों को इस काबिल बनाना था कि वे अपने-अपने जिलों में छोटे उद्यमियों, कारीगरों और नवाचारकर्ताओं को बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व से अवगत करा सकें।

डॉ. रजनीकांत ने अधिकारियों को सिखाया कि IPR केवल कानूनी संरक्षण नहीं देता, बल्कि यह किसी उद्यम के नवाचार को बाजार में प्रतिस्पर्धी बढ़त भी प्रदान करता है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई उत्पाद या डिज़ाइन पंजीकृत है, तो उसकी नकल करना कानूनी अपराध है—जिससे नवाचारकों के हित सुरक्षित रहते हैं।

पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा

पांच दिवसीय इस सम्मेलन में बौद्धिक संपदा के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चाएं की गईं।
सत्रों में निम्नलिखित विषय शामिल थे:

  • पेटेंट (Patent): नई तकनीक या आविष्कार को कानूनी सुरक्षा देना।

  • ट्रेडमार्क (Trademark): ब्रांड की पहचान को संरक्षित रखना।

  • कॉपीराइट (Copyright): रचनात्मक कार्यों जैसे किताब, कला, संगीत की सुरक्षा।

  • इंडस्ट्रियल डिज़ाइन (Industrial Design): उत्पादों के अनूठे डिजाइन को कानूनी अधिकार देना।

  • स्टार्टअप्स में IPR की भूमिका: नई कंपनियों को नवाचार की सुरक्षा और निवेश आकर्षण में मदद।

इन विषयों पर विभिन्न विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए और MSME अधिकारियों के सवालों के उत्तर भी साझा किए।

स्थानीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर लाने की दिशा में पहल

‘लोकल फॉर वोकल’ मिशन के तहत MSME मंत्रालय का यह सम्मेलन देश के कारीगरों और उद्यमियों के लिए एक प्रेरणादायक कदम साबित हुआ। डॉ. रजनीकांत ने कहा कि भारत के पास पारंपरिक कला, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों का विशाल खजाना है, जिसे यदि सही पहचान और बौद्धिक सुरक्षा दी जाए, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि MSME अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में “IPR जागरूकता अभियान” चलाएं ताकि छोटे उद्योगों को पेटेंट और जीआई टैग पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

सम्मेलन के परिणाम और आगे की दिशा

सम्मेलन के अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने जिलों में IPR और GI टैग के महत्व को बढ़ावा देंगे। मंत्रालय ने भी घोषणा की कि भविष्य में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम देश के अन्य राज्यों में भी आयोजित किए जाएंगे।

MSME मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि यह पहल न केवल “लोकल फॉर वोकल” अभियान को गति देगी बल्कि देश के ग्रामीण और पारंपरिक उद्योगों को भी नई आर्थिक दिशा प्रदान करेगी।

प्रयागराज में आयोजित MSME सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि बौद्धिक संपदा अधिकार और जीआई टैग ही वे उपकरण हैं जो “लोकल टू ग्लोबल” विजन को साकार कर सकते हैं। यह कार्यक्रम न केवल अधिकारियों के ज्ञान को समृद्ध करने वाला साबित हुआ, बल्कि MSME क्षेत्र में नवाचार, संरक्षण और आत्मनिर्भरता के नए द्वार भी खोलेगा।