नकारात्मक ऑनलाइन सामग्री देखने से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर: अध्ययन

यूसीएल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि खराब मानसिक स्वास्थ्य वाले लोग अक्सर नकारात्मक सामग्री ऑनलाइन देखते हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और बिगड़ जाती है।

नकारात्मक ऑनलाइन सामग्री देखने से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर: अध्ययन

यूसीएल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि खराब मानसिक स्वास्थ्य वाले लोग अक्सर नकारात्मक सामग्री ऑनलाइन देखते हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और बिगड़ जाती है। यह शोध नेचर ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित हुआ है और बताता है कि मानसिक स्वास्थ्य और वेब ब्राउज़िंग के बीच का संबंध द्वि-दिशात्मक (bi-directional) है।

नकारात्मक सामग्री से मानसिक स्वास्थ्य पर असर
अध्ययन में पाया गया कि जो लोग पहले से ही उदास या परेशान महसूस करते हैं, वे नकारात्मक सामग्री देखने की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। यह सामग्री उनके मूड को और खराब कर देती है, जिससे वे और अधिक नकारात्मक सामग्री देखने लगते हैं।

यूसीएल की प्रोफेसर टाली शारोट ने बताया, "हमारे शोध से पता चलता है कि नकारात्मक सामग्री न केवल व्यक्ति के मूड को दर्शाती है, बल्कि उसे और भी खराब कर सकती है। यह एक चक्र बन जाता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ लंबे समय तक बनी रह सकती हैं।"

कैसे हुआ अध्ययन?
1,000 से अधिक प्रतिभागियों से उनके मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पूछे गए और उनके वेब ब्राउज़िंग इतिहास का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing) का उपयोग करके उन वेबसाइटों के भावनात्मक स्वर का अध्ययन किया, जो प्रतिभागियों ने देखीं।

परिणाम बताते हैं:

  • जिन प्रतिभागियों का मानसिक स्वास्थ्य खराब था, वे अधिक नकारात्मक सामग्री देखते थे।
  • नकारात्मक सामग्री देखने के बाद वे और अधिक उदास महसूस करते थे।
  • इसके बाद, जब उन्हें इंटरनेट पर स्वतंत्र रूप से ब्राउज़ करने दिया गया, तो उन्होंने फिर से नकारात्मक सामग्री देखना चुना।

कंटेंट लेबलिंग से मदद की कोशिश
शोधकर्ताओं ने यह जानने के लिए एक और अध्ययन किया कि क्या कोई उपाय इस चक्र को तोड़ सकता है। उन्होंने गूगल सर्च के परिणामों में "कंटेंट लेबल" जोड़े। इन लेबल्स ने दिखाया कि कौन-सी वेबसाइट मूड को बेहतर बनाएगी, कौन-सी बिगाड़ेगी, और कौन-सी का कोई असर नहीं होगा।

परिणाम:

  • प्रतिभागियों ने ज्यादा सकारात्मक लेबल वाली वेबसाइटों को चुना।
  • जो प्रतिभागी सकारात्मक सामग्री देखते थे, उनका मूड बेहतर हो गया।

फ्री ब्राउज़र प्लग-इन लॉन्च किया
शोधकर्ताओं ने एक मुफ्त ब्राउज़र प्लग-इन बनाया है, जो गूगल सर्च परिणामों में तीन रेटिंग्स दिखाता है:

  1. सामग्री कितनी उपयोगी है।
  2. जानकारी कितनी प्रासंगिक है।
  3. सामग्री मूड को कैसे प्रभावित करती है।

प्रोफेसर शारोट का कहना है, "जैसे हम अपने खाने-पीने की चीज़ों पर पोषण लेबल देखते हैं, वैसे ही ऑनलाइन सामग्री पर भी ऐसे लेबल होने चाहिए। यह लोगों को स्वस्थ ऑनलाइन विकल्प चुनने में मदद कर सकता है।"

पंकज शर्मा