Health Tips: गर्मी की मार... कहीं कर न दे बीमार, सेहत का रखें ख्याल, अपनाएं खानपान के ये देसी नुस्खे
आयुर्वेद के मुताबिक पित्त का मौसम है गर्मी, दवा से ज्यादा परहेज जरूरी

बरेली में गर्मी चरम पर है। पसीना, गर्म हवा और धूल लोगों को बीमार बना रही है। आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार गर्मी का मौसम पित्त से संबंधित होता है। इसमें पाचन क्रिया दुरुस्त रखने के लिए खानपान का ध्यान रखना जरूरी है। कुछ देसी नुस्खे अपनाकर आप गर्मियों में भी सेहतमंद रह सकते हैं।
एसआरएम राजकीय आयुर्वेद कॉलेज एवं चिकित्सालय के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. संतोष कुमार के मुताबिक सर्द-गर्म, उल्टी, दस्त और त्वचा रोगों की वजह सीधे खानपान से जुड़ी है। गर्मियों में पसीने की ग्रंथियों की बढ़ती सक्रियता और स्वच्छता का अभाव भी रोगों का कारक है। चिपचिपाहट, बदबू, झुर्रियां, मुहांसे, घमौरियां, खुजली, सनबर्न, होंठ फटने की समस्याएं बढ़ती हैं। खानपान और रहन-सहन को नियंत्रित कर हम इन बीमारियों पर काबू पा सकते हैं।
साबुन, सौंदर्य प्रसाधन और चाय-कॉफी से दूर रहें
चिकित्सकों के मुताबिक गर्मियों में कॉस्टिक साबुन से नहाना भी त्वचा के लिए नुकसानदेह है। सौंदर्य प्रसाधनों के प्रयोग से रोम छिद्र बंद हो जाते हैं जो एलर्जी की वजह बनते हैं। कॉफी और चाय के अत्यधिक सेवन से निर्जलीकरण का खतरा रहता है। शरीर में पानी की मात्रा कम होने से त्वचा रूखी हो जाती है।
पानी, पना या शर्बत का सेवन कर ही घर से निकलें
गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने और निर्जलीकरण से बचाव के लिए घर से बाहर निकलते समय खूब पानी पीएं। पानी को साथ रखकर ही निकलें। मट्ठे, छाछ का सेवन करें ताकि पाचन तंत्र मजबूत रहे। आम पना, शिकंजी, बेल का शर्बत, जौ के सत्तू का शर्बत, नारियल या नींबू पानी, लस्सी खूब पीएं।
त्वचा रोग से निजात के उपाय
खुजली, पसीने की बदबू से निजात के लिए नीम के एक मुट्ठी पत्तों को उबालकर पानी को छान लें। इसे नहाने के पानी में मिलाकर नहाएं।
घमौरियां होने पर दूध में मुलतानी मिट्टी मिलाकर या सरसों के तेल में नीम का तेल मिलाकर लगाएं। सनबर्न पर एलोवेरा के रस को लगाएं।
चेहरे पर नींबू लगाएं और नींबू के रस को खुराक में शामिल करें। कच्चा आंवला, उससे बने मुरब्बे का सेवन भी त्वचा को निखारता है।
तरबूज, आम, संतरा, लीची, अंगूर, खरबूज, खीरा का सेवन ज्यादा करें। सत्तू, शर्बत, शिकंजी, गन्ने का रस बगैर बर्फ के पीएं।
इनका करें परहेज
ज्यादा तला-भुना और मसालेदार खाना खाने से पेट में जलन, गैस की समस्या होती है। मेटाबॉलिज्म धीमा हाे जाता है।
बासी भोजन करना बीमारियों को न्योता देने जैसा है। इससे फूड पॉइजनिंग की आशंका रहती है।
बाहर का खुले में रखा या पैक कोई भी भोजन रोगकारक होता है। इसमें बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं।
बाजार का केमिकलयुक्त अचार के सेवन से तेजी से निर्जलीकरण होता है। पेट में गुड़गुड़ाहट की समस्या बढ़ती है।
चुकंदर, गाजर, लहसुन, मिर्च, पनीर, खट्टे सॉस से परहेज करें। मांसाहार, शराब, धूम्रपान से परहेज करें।
आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक, बर्फ का गोला खाने में ठंडे होते हैं पर इनकी तासीर गर्म होती है। इससे बचना चाहिए।