डब्ल्यूएचओ ने हटाई एमपॉक्स इमरजेंसी, अफ्रीका में अब भी बरकरार खतरा

डब्ल्यूएचओ ने एमपॉक्स को अब पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी नहीं माना, लेकिन अफ्रीका सीडीसी ने इसे अब भी गंभीर खतरा बताया। जानें क्या है स्थिति और किसे सबसे ज्यादा जोखिम।

डब्ल्यूएचओ ने हटाई एमपॉक्स इमरजेंसी, अफ्रीका में अब भी बरकरार खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया को राहत की खबर दी है कि एमपॉक्स अब इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी नहीं है। पिछले साल अगस्त में अफ्रीका में तेजी से बढ़ते मामलों के चलते डब्ल्यूएचओ ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने जानकारी दी कि आपातकालीन समिति की हालिया बैठक में इस स्थिति की समीक्षा की गई और विशेषज्ञों ने सलाह दी कि मौजूदा हालात अब अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की श्रेणी में नहीं आते। उन्होंने बताया कि कांगो, बुरुंडी, सिएरा लियोन और युगांडा जैसे प्रभावित देशों में मामलों और मौतों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही इन देशों ने अब संक्रमण से निपटने की क्षमता विकसित कर ली है।

टेड्रोस ने कहा कि अब संक्रमण के कारकों और जोखिम की बेहतर समझ हो गई है। हालांकि उन्होंने चेतावनी भी दी कि आपातकाल हटाना इसका मतलब नहीं है कि खतरा पूरी तरह खत्म हो गया है। लगातार मॉनिटरिंग और प्रतिक्रिया की जरूरत बनी हुई है, क्योंकि नए प्रकोप या फ्लेयर-अप की आशंका बनी रहती है।

डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया कि छोटे बच्चों और एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए एमपॉक्स अभी भी गंभीर खतरा बना हुआ है। इनके लिए विशेष सुरक्षा और स्वास्थ्य उपायों की आवश्यकता है।

वहीं, अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (अफ्रीका सीडीसी) ने इसे अब भी महाद्वीपीय पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी माना है। संस्था के अनुसार, घाना, लाइबेरिया, केन्या, जाम्बिया और तंजानिया जैसे देशों में नए मामलों की लहर देखी जा रही है। हालांकि समग्र रूप से महाद्वीप में पुष्ट मामलों में साप्ताहिक आधार पर लगभग 52 प्रतिशत की गिरावट आई है।

एमपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, साथ ही लिम्फ नोड्स में सूजन शामिल है। बाद में चेहरे और शरीर पर दाने उभर आते हैं। अधिकतर लोग कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है।

मई 2022 से अब तक 100 से अधिक देशों और क्षेत्रों में मंकीपॉक्स (अब एमपॉक्स) के मामले सामने आ चुके हैं। यही कारण है कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियां अभी भी इस पर सतर्क नजर बनाए हुए हैं।