बस्तर में बदली तस्वीर: आत्मसमर्पित नक्सली बन रहे विकास के भागीदार

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आत्मसमर्पित नक्सलियों का जीवन अब बदल रहा है। पुनर्वास नीति और कौशल विकास कार्यक्रमों की मदद से वे मुख्यधारा से जुड़कर विकास की ओर बढ़ रहे हैं।

बस्तर में बदली तस्वीर: आत्मसमर्पित नक्सली बन रहे विकास के भागीदार

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की जिंदगी अब तेजी से बदल रही है। केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयासों से चलाए जा रहे एंटी नक्सल अभियान के साथ-साथ पुनर्वास नीति ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। नक्सल हिंसा से प्रभावित यह इलाका अब अमन और विकास की ओर बढ़ रहा है, जहां कभी बंदूक और भय का राज था, वहां अब कौशल और भरोसे की बुनियाद मजबूत हो रही है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की डेडलाइन के बाद बस्तर क्षेत्र में नक्सल उन्मूलन के लिए सरकार की कोशिशों ने रफ्तार पकड़ी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष पुनर्वास नीति लागू की है, जिसके तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुलिस लाइन में कुछ दिन रखने के बाद पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाता है। यहां उन्हें न केवल आवासीय सुविधा दी जाती है, बल्कि जीवन जीने के लिए जरूरी कौशल का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

राज्य सरकार की पहल पर इन लोगों को राजमिस्त्री, जेसीबी चालक और ट्रैक्टर ड्राइवर बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे रोजगार के नए अवसरों से जुड़ सकें। वहीं, आत्मसमर्पित महिला नक्सली सिलाई और गारमेंट फैक्ट्री के काम में प्रशिक्षित हो रही हैं। यह बदलाव उनके जीवन में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का नया रास्ता खोल रहा है।

प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि इन नक्सलियों में सीखने की गहरी ललक है। रोजाना दो घंटे शिक्षा सत्र में भाग लेकर वे शिक्षा का महत्व भी समझने लगे हैं। बीजापुर के कलेक्टर संबित मिश्रा के अनुसार, संवेदनशील गांवों में कैंप स्थापित कर बुनियादी सुविधाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास, स्कूल, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्रों को सुदृढ़ किया जा रहा है, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थायी विकास की नींव रखी जा सके।

यह तस्वीर साफ़ दिखाती है कि हथियार छोड़कर विकास की ओर कदम बढ़ाने वाले ये पूर्व नक्सली अब खुद को समाज का जिम्मेदार हिस्सा मानने लगे हैं। पुनर्वास और शिक्षा के बल पर वे अब न सिर्फ अपने जीवन को सवांर रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक नई राह बना रहे हैं।