वैज्ञानिकों का दावा: लंबी अंतरिक्ष यात्राओं में बढ़ सकता है उम्र बढ़ने का खतरा

यूसी सैन डिएगो के शोध में पाया गया कि अंतरिक्ष यात्रा मानव रक्त स्टेम कोशिकाओं की उम्र को तेज़ करती है और डीएनए क्षति, टेलोमीयर छोटे होने तथा प्रतिरक्षा कमजोरी का कारण बनती है।

वैज्ञानिकों का दावा: लंबी अंतरिक्ष यात्राओं में बढ़ सकता है उम्र बढ़ने का खतरा

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो के सैनफोर्ड स्टेम सेल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने यह महत्वपूर्ण खोज की है कि अंतरिक्ष यात्रा मानव रक्त बनाने वाली स्टेम कोशिकाओं (HSPCs) की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज़ कर देती है। यह अध्ययन Cell Stem Cell जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

अंतरिक्ष में स्टेम कोशिकाओं पर असर

शोधकर्ताओं ने स्पेसएक्स की चार कार्गो मिशनों के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर एआई-संचालित स्टेम सेल ट्रैकिंग नैनोबायोरिएक्टर सिस्टम का उपयोग किया। इसमें पाया गया कि:

  • रक्त बनाने वाली स्टेम कोशिकाओं की नई स्वस्थ कोशिकाएं बनाने की क्षमता घट गई।

  • उनमें डीएनए क्षति और टेलोमीयर छोटा होने जैसे उम्र बढ़ने के लक्षण दिखे।

  • कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रियल तनाव और सूजन देखी गई।

  • छिपे हुए जीन खंड सक्रिय हो गए, जिससे कोशिकाओं की स्थिरता प्रभावित हुई।

विशेषज्ञों की राय

डॉ. कैट्रिओना जेमिसन, निदेशक, सैनफोर्ड स्टेम सेल इंस्टीट्यूट, ने कहा,
“अंतरिक्ष मानव शरीर के लिए अंतिम स्ट्रेस टेस्ट है। माइक्रोग्रैविटी और कॉस्मिक रेडिएशन रक्त स्टेम कोशिकाओं के मॉलिक्यूलर एजिंग को तेज़ करते हैं। यह समझना न केवल अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है, बल्कि पृथ्वी पर कैंसर और उम्र से जुड़ी बीमारियों को समझने में भी मदद करता है।”

पहले के अध्ययन से संबंध

यह शोध NASA Twins Study और Space Omics & Medical Atlas समूह के काम को आगे बढ़ाता है। Twins Study (2015–16) में पाया गया था कि अंतरिक्ष यात्रा से जीन अभिव्यक्ति, टेलोमीयर लंबाई और माइक्रोबायोम में बदलाव आता है। हालांकि, अधिकतर बदलाव पृथ्वी पर लौटने के बाद सामान्य हो गए, परंतु कुछ स्थायी प्रभाव भी दर्ज हुए।

नया प्रयोग और निष्कर्ष

  • HSPCs को 32–45 दिन के स्पेसफ्लाइट में रखा गया।

  • उन्होंने सक्रियता बढ़ाकर अपनी ऊर्जा भंडार समाप्त कर दी और आराम करने की क्षमता खो दी।

  • डीएनए क्षति और टेलोमीयर छोटे होने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हुई।

  • दिलचस्प बात यह रही कि जब इन कोशिकाओं को बाद में एक स्वस्थ वातावरण में रखा गया तो कुछ क्षति उलट गई, जिससे यह संकेत मिला कि सही हस्तक्षेप से कोशिकाओं को पुनर्जीवित करना संभव हो सकता है।

भविष्य की योजना और महत्व

यह खोज न केवल लंबी अवधि की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए अहम है, बल्कि मानव उम्र बढ़ने और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए भी नई समझ देती है।

Space Tango के अध्यक्ष ट्वायमैन क्लेमेंट्स ने कहा,
“यह उपलब्धि एक सामूहिक प्रयास है। हमारी क्यूब लैब क्षमताओं और माइक्रोस्कोपी तकनीक ने इस शोध को संभव बनाया है और भविष्य में भी अंतरिक्ष चिकित्सा अनुसंधान को आगे बढ़ाएगी।”

टीम अब अतिरिक्त ISS मिशनों और अंतरिक्ष यात्रियों पर आधारित अध्ययन करेगी। उद्देश्य होगा कि वास्तविक समय में मॉलिक्यूलर बदलाव समझे जाएं और ऐसे औषधीय या आनुवंशिक उपाय खोजे जाएं जो मानव स्वास्थ्य को अंतरिक्ष और पृथ्वी पर सुरक्षित रख सकें।

डॉ. जेमिसन ने कहा,
“हमने अंतरिक्ष अनुसंधान से कैंसर पर जितना सीखा है, वह वाकई अद्भुत है। यह केवल अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नहीं बल्कि पृथ्वी पर हर व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।”