जन धन योजना ने रचा इतिहास: 55 करोड़ से ज्यादा खातों ने बढ़ाई वित्तीय समावेशन की पहुंच

प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत देश में 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुल चुके हैं, जिनमें से अधिकांश पहले बैंकिंग से वंचित थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खाताधारकों से केवाईसी अपडेट करवाने का आग्रह किया है।

जन धन योजना ने रचा इतिहास: 55 करोड़ से ज्यादा खातों ने बढ़ाई वित्तीय समावेशन की पहुंच

देश में प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत अब तक 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इनमें से अधिकतर खातों के मालिक ऐसे लोग हैं जो कभी बैंक की दहलीज तक नहीं पहुंचे थे। इस बात की जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर और केवाईसी अनिवार्यता के मद्देनज़र बैंकों से अनुरोध किया गया है कि वे खाताधारकों तक सक्रिय रूप से पहुंचें और उनकी केवाईसी प्रक्रिया को सरल बनाएं। इस अभियान की शुरुआत 1 जुलाई 2025 से हो चुकी है और अब तक लगभग 1 लाख ग्राम पंचायतों को कवर किया जा चुका है।

वित्त मंत्री ने सभी जन धन खाताधारकों से आग्रह किया है कि वे इन शिविरों में भाग लें और अपनी केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करें ताकि उन्हें बैंकिंग सेवाओं का निरंतर लाभ मिलता रहे। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, जन धन खातों में से 56 प्रतिशत खाताधारक महिलाएं हैं और इन खातों में कुल जमा राशि 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना ने भारत में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने इसे देश के लिए एक ऐतिहासिक पहल बताया है, जिसने वयस्कों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है। वित्त मंत्री सीतारमण ने भी जन धन योजना को दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक बताया है और बताया कि चालू वर्ष में तीन करोड़ नए जन धन खाते खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2015 में जहां प्रति खाता औसत बैलेंस 1,065 रुपए था, वहीं अब यह बढ़कर 4,352 रुपए हो गया है। लगभग 80 प्रतिशत खाते सक्रिय हैं और 66.6 प्रतिशत खाते ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। महिला खाताधारकों की संख्या 29.56 करोड़ से अधिक हो चुकी है। यह योजना केवल खातों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि मनरेगा वेतन, उज्ज्वला योजना की सब्सिडी और कोविड-19 के दौरान आर्थिक सहायता जैसी कई योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का मजबूत माध्यम भी बनी है।

सरकार का उद्देश्य वंचित वर्गों और निम्न आय वर्ग के लोगों को बैंकिंग की मुख्यधारा से जोड़ना है। इस योजना के माध्यम से उन्हें बचत खाता, बीमा, पेंशन और ऋण जैसी बुनियादी वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। आज देश के 99.95 प्रतिशत बसे हुए गांवों में बैंकिंग टचपॉइंट्स के जरिए 5 किलोमीटर के भीतर बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना ने देश के आर्थिक ताने-बाने में गहरी पैठ बना ली है और यह आज भी गरीबों की वित्तीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण आधार बनी हुई है।