डॉलर में कमजोरी के बीच रुपया 87.22 पर मजबूत, एफआईआई की बिकवाली जारी
एफआईआई की बिकवाली और अमेरिकी नीतिगत घोषणाओं के बीच डॉलर सूचकांक में गिरावट से रुपया डॉलर के मुकाबले 87.22 पर खुला। जानिए हफ्तेभर के आर्थिक संकेत।

भारतीय मुद्रा ने सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूती के साथ शुरुआत की और 87.22 पर खुली, जो शुक्रवार के 87.54 के बंद स्तर से 32 पैसे ऊपर है। यह सुधार डॉलर सूचकांक में कमजोरी और एशियाई मुद्राओं में तेजी के चलते देखा गया। पिछले हफ्ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया दबाव में था और यह 1 अगस्त को 87.52 पर बंद हुआ था, जो सप्ताह के निचले स्तर 87.73 से कुछ बेहतर रहा।
रुपये पर यह असर ऐसे समय में पड़ा जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने लगातार पांचवें सप्ताह भारतीय बाजार से पूंजी निकासी की। जुलाई महीने में एफआईआई की कुल बिकवाली 47,666 करोड़ रुपए रही, जो बाजार में बड़ी अस्थिरता को दर्शाता है। इसके साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी रुपये को प्रभावित किया।
इस सप्ताह रुपये पर दबाव बना रह सकता है क्योंकि अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे व्यापारिक तनाव बढ़ा है। व्यापारी वर्ग उम्मीद कर रहा है कि रुपया इस सप्ताह 87.00 से 87.80 के बीच कारोबार करेगा। साथ ही, बाजार को भरोसा है कि भारतीय रिजर्व बैंक अत्यधिक अस्थिरता से निपटने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता रहेगा।
इस आर्थिक परिदृश्य के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी मौद्रिक नीति बैठक 6 अगस्त को होनी है, जिससे पहले बाजार में सावधानी का माहौल है। वहीं, अमेरिका की आर्थिक स्थिति भी रुपये को प्रभावित कर रही है। जुलाई में अमेरिका में रोजगार वृद्धि की गति धीमी रही और बेरोजगारी दर बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गई, जिससे सितंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना 80 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इस समाचार के चलते डॉलर सूचकांक में शुक्रवार को 1.35 प्रतिशत की गिरावट आई।
इस बीच, ओपेक प्लस द्वारा सितंबर में कच्चे तेल के उत्पादन में वृद्धि की घोषणा के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमतें गिरकर 69.54 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं। इससे वैश्विक मुद्राओं में कुछ स्थिरता आई है। भारतीय बॉन्ड बाजार में भी हलचल देखी गई और 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड पिछले हफ्ते 2 आधार अंक बढ़कर 6.3680 प्रतिशत पर बंद हुआ। ट्रेडर्स का अनुमान है कि रिजर्व बैंक के फैसले तक यह यील्ड 6.33 से 6.38 प्रतिशत के बीच रह सकती है। कुछ विशेषज्ञ दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की संभावना जता रहे हैं, जबकि एचएसबीसी रिसर्च का मानना है कि आरबीआई फिलहाल दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।