फेफड़ों के कैंसर पर सटीक वार: नैनोबॉडी तकनीक से बनेगी नई दवा रणनीति
कोरिया के वैज्ञानिकों ने नैनोबॉडी तकनीक विकसित की है जो सिर्फ फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है। यह इलाज कैंसर को सटीक रूप से खत्म करते हुए साइड इफेक्ट्स को कम करता है।

फेफड़ों के कैंसर के इलाज में एक बड़ी सफलता मिली है। शोधकर्ताओं की एक टीम ने ऐसी नैनोबॉडी तकनीक विकसित की है जो केवल कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर उन पर हमला करती है। इस खोज से कैंसर चिकित्सा में नए रास्ते खुल सकते हैं क्योंकि यह पद्धति परंपरागत कीमोथैरेपी की सबसे बड़ी समस्या—स्वस्थ कोशिकाओं पर दुष्प्रभाव—को दूर करती है।
यह अध्ययन जर्नल ‘सिग्नल ट्रांसडक्शन एंड टार्गेटेड थेरेपी’ में प्रकाशित हुआ है। रिसर्च टीम का नेतृत्व डॉ. जूयोन जंग ने किया, जो कोरिया रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी (KRIBB) के बायो-नैनो रिसर्च सेंटर से जुड़े हैं।
फेफड़ों का कैंसर और चुनौतियाँ
फेफड़ों का कैंसर विश्वभर में सबसे घातक बीमारियों में से एक है और हर साल लाखों लोगों की जान लेता है। इसके प्रकारों में लंग एडिनोकार्सिनोमा (NSCLC का एक उपप्रकार) सबसे आम है, जो कुल मामलों में 50% से अधिक पाया जाता है। इसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह देर से पकड़ में आता है और बार-बार दोबारा लौट आता है।
मौजूदा कीमोथैरेपी इलाज स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुँचाती है, जिसके कारण बाल झड़ना, उल्टी, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना जैसे गंभीर दुष्प्रभाव सामने आते हैं। साथ ही, दवा हमेशा कैंसर कोशिकाओं तक सही मात्रा में पहुँच नहीं पाती, जिससे इलाज की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
नया समाधान: A5 नैनोबॉडी
इन चुनौतियों से निपटने के लिए टीम ने A5 नैनोबॉडी तैयार की है। यह एक सूक्ष्म एंटीबॉडी है जो CD155 प्रोटीन से जुड़ती है। यह प्रोटीन फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है।
A5 नैनोबॉडी सामान्य एंटीबॉडी से 10 गुना छोटी है, इसलिए यह ऊतकों में गहराई तक प्रवेश कर सकती है। इसकी खासियत है कि यह केवल कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है और स्वस्थ कोशिकाओं को अछूता छोड़ती है। प्रयोगों में पाया गया कि यह कैंसर कोशिकाओं की माइग्रेशन और इनवेज़न (फैलने की क्षमता) को 50% से अधिक रोक देती है।
दवा वितरण की नई तकनीक
शोधकर्ताओं ने A5 नैनोबॉडी को और प्रभावी बनाने के लिए इसे लिपोसोमल कैप्सूल्स में पैक की गई कैंसररोधी दवा डॉक्सोरूबिसिन (DOX) के साथ जोड़ा। इस संयोजन को A5-LNP-DOX नाम दिया गया।
यह प्रणाली "ड्रोन स्ट्राइक" की तरह काम करती है—यानी सीधे कैंसर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद CD155 को निशाना बनाकर दवा पहुँचाती है।
प्रयोग और परिणाम
अध्ययन में पाया गया कि A5-LNP-DOX पारंपरिक तरीकों की तुलना में तीन गुना अधिक दवा कैंसर कोशिकाओं तक पहुँचाता है। इससे कैंसर कोशिकाओं की मौत की दर तेज़ी से बढ़ी, जबकि स्वस्थ कोशिकाएँ सुरक्षित रहीं।
पशु मॉडल और मरीजों से लिए गए ऑर्गेनॉइड्स पर हुए परीक्षणों में ट्यूमर का आकार 70–90% तक कम हो गया और कैंसर कोशिकाओं की मृत्यु दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। खास बात यह रही कि यकृत, हृदय और गुर्दे जैसे प्रमुख अंगों पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।
शोधकर्ताओं की उम्मीदें
डॉ. जूयोन जंग ने कहा, “हमारा अध्ययन कैंसर कोशिकाओं को सटीक रूप से निशाना बनाकर दवा पहुँचाने की एक नई रणनीति प्रस्तुत करता है। हमें उम्मीद है कि यह नैनोबॉडी तकनीक फेफड़ों के कैंसर ही नहीं, बल्कि अन्य प्रकार के कैंसर के इलाज में भी उपयोगी साबित होगी और प्रिसिजन मेडिसिन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएगी।”